टीआरपी मापक यंत्र और संपादक की पीड़ा
प्रवीण दुबे

प्रवीण दुबे

 

मेरे प्रिय टीआरपी मापक यंत्र,

कई दिनों की खदबदाहट के बाद आज आपको खुला ख़त लिखने से खुद को रोक नहीं पाया. भैया, आपसे एमपी-छतीसगढ़ में कहीं कुछ चूक हो रही है ऐसा मुझे दिखता है. आप क्यूँ नहीं स्कूली या महाविद्यालयीन परीक्षा की तरह पुनर्गणना, वो जिसे अंग्रेजी में रिवैल्यूएशन कहते हैं, का प्रावधान कर देते..बताइए कि अव्वल आने वाले परीक्षार्थी ने क़माल क्या किया और बाकियों ने कहाँ ग़लती की....आप कहें तो हम तिथिवार आपको दिखा दें कि हमने क्या चलाया और कैसे चलाया और बाकियों ने क्या चलाया...बताइए कि 7 करोड़ से अधिक की आबादी वाले एमपी और ढाई करोड़ से ज्यादा जनसंख्या वाले छतीसगढ़ में आपने कितने टीआरपी मापक यंत्र लगा रखे हैं...प्रभु, मान ही नहीं सकता मैं कि आपके आंकड़े कंटेट का सटीक आकलन हैं. इतना बता दीजिए कि वैज्ञानिक तरीक़े से ही तो आप गणना करते हैं न...? आंकड़े देखकर तो लगता है कि टैरो कार्ड रीडर टाइप एक कार्ड निकालकर या फिर सिक्का उछालकर आप तय कर देते हो [क्षमा करिए...] प्रतिदिन अपना और बाकी चैनल का प्रस्तुतिकरण और ब्रेकिंग दम साधे देखता हूँ...23 साल से मुख्यधारा की पत्रकारिता कर रहा हूँ...ख़बरों से खेलने, कॉपी और प्रस्तुतीकरण का साधक हूँ...जो परीक्षार्थी आपकी मार्क-शीट में अव्वल में आ रहे हैं, उनकी क्षमता का भी ज्ञाता हूँ.. कुछ मत करिए सिर्फ तीन उचित कारण बता दीजिये कि जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ने वाला चैनल ऐसा क्या कर रहा है, जो बाकी के नहीं कर रहे हैं...कितनी बड़ी ख़बरें सबसे पहले उनके पास होती हैं...एक उदाहरण आपको देता हूँ कि हमारी जिन ख़बरों के वीडिओ को हमारी वेव साईट में लाखों की तादात में वीडिओ व्यू मिलते हैं और हज़ारों लोग उसे शेयर करते हैं, उसे आप टीआरपी में ज़ीरो दिखा देते हो..श्रीमान आपको शायद पता नहीं होगा कि डिजिटल में नम्बर लाना बेहद कठिन है क्यूंकि व्यक्ति अपना डेटा पैक यानि रुपैया खर्च करके वीडिओ देखता है..ऐसा कैसे संभव है कि फोन में वीडियो देखा जा रहा हो और टीवी में नहीं...भैया आपकी मापक मशीन पुरानी हो गई हो या उसका कोई कल-पुर्जा घिस गया हो तो मरम्मत करा लो यार  ;) लेकिन आंकड़े तो ऐसे भेजो, जिसमें दाल में नमक के बराबर चूक दिखे...देखो, ऐसा है बिना पढ़े फेल होने वाला व्यक्ति नहीं कहता कि कॉपी ठीक से नहीं जाँची गयी लेकिन जो लपक के पढ़ रहा है, उसे कर्री तकलीफ़ हो जाती है..हम तो आपके साथ कैसा भी शाष्त्रार्थ करने को तैयार हैं...भैया, क्या है अन्याय करना जितना बड़ा पाप है,उसे चुपचाप सहन करना और भी बड़ा पाप है, जेई से अपन से मौन नहीं रहा जा रहा..और फिर आपकी विश्वसनीयता पर जनता भी सवाल उठाने लगे, ऐसा न करो....

सादर 

आपका ही एक हितग्राही

[ ईटीवी एमपी /सीजी के सीनियर एडिटर प्रवीण दुबे की फेसबुक वॉल से ]

 

Dakhal News 28 July 2017

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