बेचैनी के बीच बजट से जुडी आम जन की उम्मीदें
डॉ. मुरली मनोहर जोशीलगभग हर कोई आम बजट की उत्सुकता से प्रतीक्षा करता है। यह न सिर्फ एक सालाना कार्यक्रम है, बल्कि देशवासी मानते हैं कि आम बजट उनके भविष्य को सही दिशा प्रदान करता है और सरकारी सेवाओं को बेहतर बनाता है। बजट में आंकड़ों के अतिरिक्त लोग दूसरी तरह की भी रियायत मिलने की उम्मीद करते हैं। सोमवार को पेश किया जाने वाला आम बजट काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश के लोगों की आशाएं उच्च स्तर पर हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि लोग व्याकुल हैं। मेरे दृष्टिकोण में यह बजट देश के लिए दूरगामी साबित होगा। अर्थव्यवस्था सिर्फ शांत वातावरण में ही फल-फूल सकती है। आम बजट इसी उद्देश्य को पूरा करने वाला होना चाहिए।सरकार आम बजट में अपने स्तर पर चाहे जैसे प्रावधान करे, लेकिन उसे यह याद रखना चाहिए कि विभिन्न्क्षेत्रों में निवेश की दिशा कुछ विशेष उद्देश्यों की ओर केंद्रित होती है। ये उद्देश्य हैं किसानों और मजदूरों (संगठित और असंगठित) के जीवन स्तर और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना, तेजी से टिकाऊ नौकरियां पैदा करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना और आम आदमी की क्रय क्षमता को बढ़ाने पर जोर देना।पिछले एक साल के राजनीतिक हालात यह इंगित करते हैं कि देश के युवा बेचैन हो रहे हैं और हमारी अर्थव्यवस्था उस स्थिति में नहीं है कि उन्हें रोजगार मुहैया करा सके। यदि रोजगार और बढ़ती कीमतों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर स्थिति और खराब हो सकती है। प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री के आश्वासनों के बाद भी किसान, छात्र और कामकाजी वर्ग अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं।बैंकों के एनपीए (फंसे हुए कर्ज) की बात करें तो यह काफी बढ़ गया है। यदि इसी तरह सब कुछ चलता रहा तो यह आठ-दस लाख करोड़ रुपए के खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है। दूसरी ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अच्छी स्थिति में नहीं है। कमोडिटी की गिरती कीमतें, निर्यात में लगातार गिरावट और कॉरपोरेट जगत के लाभ में कमी देखी जा रही है। घरेलू स्तर पर भी अर्थव्यवस्था की तस्वीर कुछ अच्छी नहीं है, जिससे आने वाले दिनों में खुश हुआ जा सके। ऐसे में एनपीए में आगे भी बढ़ोतरी की आशंका बनी हुई है। इसका मतलब यही है कि अभी भुगतान में चूक के कई और मामले सामने आएंगे।यहां पर हमें यह ध्यान भी रखना होगा कि एनपीए कोई अचानक खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंचा है। हमें इस समस्या की पूरी जानकारी थी और इसी कारण भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में बैंकिंग सेक्टर में एनपीए की समस्या के समाधान का जिक्र किया था। एक तरफ हमें सिस्टम की उन खामियों को दूर करने की आवश्यकता है, जिससे देश की वित्तीय प्रणाली दशकों से पीड़ित है और दूसरी तरफ बैंकिंग सेक्टर यह सुनिश्चित करे कि एमएसएमई और कृषक समुदाय के लिए पैसे की कमी न हो। बैंकिंग सेक्टर को अपने अंदर निहित चेक एंड बैलेंस के जरिए चीजों को दुरुस्त रखना होगा।पिछले लगातार दो साल बारिश की अनियमित स्थिति ने कृषि पर निर्भर आबादी के बड़े हिस्से को अपने कोप का भाजन बनाया है और यदि यह लगातार तीसरे साल भी जारी रहता है तो हमारे सामने देश में सबसे अधिक एनपीए का नया क्षेत्र उभर सकता है और यह क्षेत्र होगा - कृषि। इस स्थिति का सामना हमारा देश नहीं कर सकता। हम उम्मीद और प्रार्थना करते हैं कि इस साल हमारे देश में सामान्य वर्षा हो, ताकि देश अपनी ग्रोथ की रफ्तार पकड़ ले और उभरते वैश्विक आर्थिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर ले। इसके लिए जरूरी है कि सरकार कृषि और उससे संबंधित सेक्टर में भारी निवेश की योजना बनाए और इस साल यदि सूखे के हालात बनते हैं तो कीमतों को नियंत्रित करने के कदम उठाए। इसके साथ ही यह स्थिति देश के उपभोग को भी काफी प्रभावित करेगी। इसके फलस्वरूप औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती आएगी, क्योंकि तब ग्रामीण जगत और कृषि पर निर्भर आबादी की तरफ से मांग में भी गिरावट आएगी।सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि कैसे भी हालात हों, सामाजिक सेक्टर से जुड़ी योजनाओं को मिलने वाले फंड में कटौती नहीं हो और स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और ग्रामीण विकास सेक्टर को उनका वाजिब हिस्सा-हक मिले। इससे लगेगा कि मौजूदा सरकार सभी का ध्यान रख रही है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी स्वास्थ्य और शिक्षा सेवा से वंचित है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां कोई विकासशील देश निवेश करता है तो उसे अधिकतम प्रतिफल मिलता है। ऐसी उम्मीद है कि बजट इन क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देगा।जहां तक गवर्नेंस और सार्वजनिक सेवाओं की डिलेवरी का प्रश्न है तो बजट में इस बात के पर्याप्त प्रावधान किए जाएं कि भ्रष्टाचार और काले धन की कोई गुंजाइश नहीं हो। इसके साथ ही ई-गवर्नेंस का ऐसा ढांचा तैयार किया जाए, जिससे सार्वजनिक सेवाओं की डिलेवरी में जबरदस्त सुधार आए। कारोबार करने को आसान बनाया जाए। न्यायपालिका और पुलिस सुधार के लिए भी निवेश जरूरी है। बजट में उनकी समस्याओं का निदान हो।इसी प्रकार शहरी-ग्रामीण विषमता और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भारत को एक जीवंत अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें शहरी-ग्रामीण कनेक्टिविटी और आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। यह कनेक्टिविटी सिर्फ शहरी-ग्रामीण जगत को जोड़ने तक नहीं सीमित न रहे, बल्कि अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को भी पाटा जाना चाहिए।सुरक्षा के मामले में हमें जिस तरह का परिदृश्य नजर आ रहा है, उसे देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा में भी पर्याप्त निवेश अपरिहार्य है। यदि इसमें पर्याप्त निवेश नहीं किया गया तो उसकी कीमत चुकानी होगी। हमें जवानों की जरूरतों पर संवेदनशील होने की जरूरत है।मैं यह उम्मीद करता हूं कि देश के सामान्य नागरिकों और वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स छूट का लाभ दिया जाएगा। साथ ही जिस तरह से बचत की दर में गिरावट आ रही है, उसे देखते हुए आम बजट में बचत को प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी उपाय किए जाएंगे। हमें देश के मध्यवर्ग की आमदनी में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है। इस प्रकार से हम उनके खर्च और बचत, दोनों में इजाफा कर सकते हैं। [लेखक भाजपा के वरिष्ठतम नेता हैं]