Dakhal News
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में कुपोषण का इलाज उपलब्ध नहीं है और गरीब आदिवासी झाड़ फूंक के भरोसे हैं। कुपोषण का शिकार बच्चों का इलाज नाड़े और लहसुन की माला से हो रहा है। पिछले 45 दिन में चार बच्चों की मौत के बाद सरकारी अमला नींद में हैं।
खंडवा के आदिवासी बहुल विकासखंड खालवा के कई गांवों का। ग्राम आंवलिया में 22 माह की शिवानी का वजन महज 7 किलो है, वहीं छोटी बहन 14 माह की राजनंदनी पांच किलो की है। आयु के अनुसार दोनों बहनों का वजन 3 से 4 किलो कम है। दोनों खांसी और बुखार से ग्रसित हैं लेकिन पिता रामदास और मां उर्मिला उन्हें अस्पताल नहीं ले जा रहे हैं। बेटियों के गले में लहसुन की माला और नाड़ा बांध दिया है। गांव की 'पड़िहाल" से उनकी झाड़-फूंक कराई जा रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के अनुसार दोनों बालिकाओं को खालवा रेफर किया गया है लेकिन पड़िहाल के कहने पर वे कुपोषित बालिकाओं को मतरा हुआ पानी पिला रहे हैं।
ऐसे ही हालात अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में है। ग्राम रायपुर में 18 माह की अंजली पिता राजेश का वजन महज 7 किलो है। ग्राम सेंधवाल में 17 माह के विजय पिता रामू का वजन 5 किलो है, उसकी मां बड़े बेटे अजय को खालवा के बाल शक्ति केंद्र ले गई है लेकिन विजय को उपचार नहीं मिल पाया है। इसी तरह ग्राम रेहटिया में 5 वर्ष की सुमित्रा पिता अनोखीलाल का वजन 11 किलो है लेकिन आगंनवाड़ी कार्यकर्ताओं की समझाइश के बावजूद परिजन अस्पताल नहीं ले जा रहे।
100 से अधिक कुपोषित एनआरसी में भर्ती
खंडवा, खालवा और रोशनी के एनआरसी सेंटर में मौजूदा स्थिति में 100 से अधिक कुपोषित बच्चे भर्ती हैं। केवल खालवा के एनआरसी सेंटर में एक साल में 477 कुपोषित बच्चे भर्ती हुए हैं। खालवा क्षेत्र में तीन हजार से अधिक बच्चे अंडर वेट हैं। खालवा के 167 गांव में 313 आंगनवाड़ी पांच स्वास्थ्य केंद्र, 50 उपस्वास्थ्य केंद्र, 42 एएनएम और 57 आशा कार्यकर्ता हैं। इस इलाके में पूरा तंत्र ही कुपोषित नजर आ रहा है । कई गावों में साल में एक बार भी सरकारी डॉक्टर नहीं पहुंचे हैं ।
Dakhal News
|
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By:
Medha Innovation & Development |