गेहूँ खरीदी केन्द्रों पर किसानों को परेशानी न हो
गेहूँ खरीदी  केन्द्रों पर किसानों को परेशानी न हो
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिये हैं कि प्रदेश में गेहूँ उपार्जन के लिये बनाये गये केन्द्रों पर बेहतर व्यवस्था रहे। उपार्जन केन्द्रों पर आने वाले किसान को कोई परेशानी नहीं हो इसका ध्यान रखें। ओलावृष्टि के कारण जिस गेहूँ की थोड़ी चमक चली गई है तो भी उसे खरीदा जाये। प्रदेश के चार संभाग इन्दौर, उज्जैन, भोपाल और नर्मदापुरम् में समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी गत 25 मार्च से शुरू हो गई है तथा शेष संभागों में आगामी 6 अप्रैल से शुरू होगी। मुख्यमंत्री स्वयं खरीदी केन्द्रों का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे।मुख्यमंत्री चौहान ने बैठक में गेहूँ उपार्जन की तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि गेहूँ उपार्जन के लिये बनाये गये खरीदी केन्द्रों पर छन्ने की तथा आद्रता मीटर की व्यवस्था रखें। यदि गेहूँ का समर्थन मूल्य 1450 रुपये प्रति क्विंटल से कम आकलन किया जाता है तो उसका नमूना लेकर मंडी सचिव प्रमाणित करें। जहां बड़े-बड़े तौल कांटे लगे है वहां दोबारा तुलाई नहीं हो। गेहूँ के उपार्जन से संबंधित किसी भी शिकायत के लिये एक टेलीफोन नम्बर निर्धारित किया जाये, जिस पर कोई भी किसान शिकायत कर सके। इस तरह की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करें।बैठक में बताया गया कि गेहूँ के उपार्जन के लिये प्रदेश में 18 लाख 74 हजार किसानों का पंजीयन किया गया है जो पिछले वर्ष से डेढ लाख अधिक है। गेहूँ के उपार्जन के लिये 2974 केन्द्र बनाये गये हैं। खरीदी के पहले दिन 25 मार्च को 2 हजार 73 किसानों से 10 हजार 614 मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा गया। किसानों को राहत देने में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह ने कहा है कि किसानों को राहत देने के मामले में मध्यप्रदेश शासन देश में सबसे आगे है। पिछले दस वर्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में समय-समय पर संशोधन किये गये हैं। श्री सिंह ने कहा कि इन संशोधन के जरिये प्रदेश में प्राकृतिक आपदा राहत के प्रावधानों में से कोई प्रावधान ऐसा नहीं है, जिसमें उल्लेखनीय वृद्धि न की गई हो। उन्होंने कहा कि अनेक प्रावधानों में तो दो गुना से लेकर दस गुना तक वृद्धि की गई है। अनेक नयी फसलों के नुकसान को राहत के दायरे में लाया गया।श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश में पहली बार अरहर और ईसबगोल की फसल को बारहमासी फसल के रूप में मान्य किया गया है। जन-हानि/अंग-हानि के मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में उपखण्ड अधिकारी/तहसीलदार के वित्तीय अधिकारों में वृद्धि की गई है। पान-बरेजे आदि की हानि के लिये 25 से 50 प्रतिशत हानि होने पर 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 400 रुपये प्रति पारी और 50 प्रतिशत से अधिक हानि होने पर 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 625 रुपये प्रति पारी के मान से राहत प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।मंत्री श्री रामपाल सिंह ने बताया कि राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में किये गये संशोधन के परिप्रेक्ष्य में फसल हानि के मामलों में दी जाने वाली सहायता राशि के मापदण्ड में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। फलदार पेड़ और उन पर लगी फसलें आम, संतरा, नींबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलें तथा पान-बरेजे को छोड़कर सभी जगह उगाई जाने वाली फसलें, जिनके अंतर्गत सब्जी की खेती, तरबूज-खरबूज की खेती (डांगरवाड़ी) भी सम्मिलित है, चाहें वह नदी या खेतों के किनारे हो। इनकी हानि के लिये दी जाने वाली अनुदान सहायता में कुल खाते की धारित कृषि भूमि के आधार पर खातेदार कृषक की श्रेणी में लघु एवं सीमांत कृषक को जीरो हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर कृषि भूमि धारित करने वाले खातेदार को 25 से 50 प्रतिशत फसल हानि होने पर वर्षा आधारित फसल के लिये 3500 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमासी बोवाई एवं रोपाई से 6 माह से अधिक कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से राहत दिये जाने का प्रावधान है।
Dakhal News 22 April 2016

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