डीजीपी के लिए सरबजीत सिंह का नाम
डीजीपी के लिए सरबजीत सिंह का नाम

मध्यप्रदेश पुलिस के मुखिया सुरेंद्र सिंह 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके उत्तराधिकारी की घोषणा होने में समय है लेकिन सोशल मीडिया पर अभी से नए डीजीपी के नाम को लेकर चर्चाएं तेजी से चलने लगी हैं। यही नहीं सोशल मीडिया ने तो यह तय ही कर दिया कि विशेष महानिदेशक गुप्त वार्ता सरबजीत सिंह प्रदेश के अगले डीजीपी होंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या दो बैच की सीनियरटी लांघकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरबजीत सिंह को प्रदेश पुलिस की कमान सौपेंगे। श्री सिंह की दबंगई, कार्यक्षमता और ईमानदारी पर किसी को शक नहीं है। फिर भी उन्हें प्रदेश पुलिस का मुखिया बनने का अवसर मिलेगा या नहीं यह तो केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जानते हैं। श्री चौहान ने अभी तक इस मामले में किसी से कोई चर्चा भी नहीं की। संभावना इस बात की है कि हर बार की तरह इस बार भी डीजीपी की सेवानिवृत्ति के पंद्रह-बीस दिन पहले यानी 10 से 15 जून 2016 के आसपास नए डीजीपी का फैसला होगा। तब तक केवल अटकलें चलती रहेगी।

जानकारी के अनुसार नए डीजीपी के लिए सबसे मजबूत दावा भारतीय पुलिस सेवा के 1983 बैच के अधिकारी पुलिस गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष आरके शुक्ला का है। श्री शुक्ला प्रदेश में पदस्थ पुलिस अधिकारियों में सबसे सीनियर हैं। मेहनती और ईमानदार अधिकारी श्री शुक्ला लंबे समय तक गुप्त वार्ता में पदस्थ रहे हैं, इस कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी काफी नजदीकियां हैं। श्री शुक्ला का कार्यकाल काफी लंबा है, इसी कारण दो साल पूर्व कुछ समय के लिए केंद्र मे प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते थे। सीआईएसएफ में एडीजी के पद पर उनकी नियुक्ति भी हो गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्ला को यह कहकर प्रतिनियुक्ति पर छोडऩे से इंकार कर दिया था, प्रदेश में ही काम करना है। इससे इस बात की संभावना सबसे अधिक है कि आरके शुक्ला ही प्रदेश पुलिस के अगले मुखिया होंगे। शुक्ला के बाद वरिष्ठता में दूसरा नंबर उन्हीं के बैच की विशेष महानिदेशक प्रशिक्षण श्रीमती रीना मित्रा का है। लेकिन डीजीपी के लिए उनके नाम की चर्चा नहीं है। तीसरे नंबर पर भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी डीजी जेल वीके सिंह का है। इसके बाद इसी बैच के डीजी होमगार्ड एमएस गुप्ता और संजय चौधरी का नाम है। गुप्ता और चौधरी का दावा भी किसी मामले में कमजोर नहीं है। इसके बाद 1985 बैच के विशेष महानिदेशक साइबर सेल राजेंद्र कुमार और विशेष महानिदेशक गुप्त वार्ता सरबजीत सिंह का नाम आता है। दोनों अधिकारियों की कार्यक्षमता किसी से छुपी नहीं है। सुरेंद्र सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद सरबजीत सिंह का कार्यकाल तेरह माह बचेगा। इस कारण अभी यह कहना मुश्किल है कि प्रदेश पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा।

यह है सुप्रीमकोर्ट का आदेश

उत्तरप्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि डीजीपी के कुल पद में वरिष्ठता के हिसाब से पचहत्तर फीसदी तक नाम वाले अधिकारियों में चयन किया जाए। यानी वरिष्ठता के हिसाब से दस में से सात अधिकारियों में किसी को डीजीपी बनाया जा सकता है। इस दृष्टि से दावेदारों की दौड़ में आर के शुक्ला, श्रीमती रीना मित्रा, वीके सिंह, एमएस गुप्ता, संजय चौधरी, अशोक दोहरे और राजेंद्र कुमार में किसी एक को डीजीपी बनाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कई राज्यों के मुयमंत्रियों ने अपने पसंदीदा जूनियर अधिकारियों को डीजीपी बना दिया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या ऐसा कोई कदम उठाएंगे, इस पर सभी की निगाह रहेगी।

Dakhal News 22 April 2016

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