उमा भी खामोश और बीजेपी भी खामोश
शाहनवाज खान पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती की छह साल के वनवास के बाद घर वापसी तो हो गई लेकिन स्वयं उमा सहित पूरी भाजपा उनको लेकर खामोश है। यह खामोशी कब टूटेगी? इसे लेकर भाजपा के अंदर और बाहर बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। उमा की वापसी से नफा-नुकसान को लेकर चल रही अटकलों का दौर अब भी जारी है। उनकी भाजपा में वापसी के लाभ और फायदे क्या होंगे, यह तो भविष्य में पता चलेगा लेकिन उनकी वापसी से उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में फिर प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं में टक्कर तय है। सुश्री भारती ने ही दस साल तक प्रदेश की सत्ता में काबिज रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को दस साल के वनवास पर जाने के लिए मजबूर कर दिया था। लंबे अंतराल के बाद यह दोनों नेता एक बार फिर आमने-सामने हैं। उत्तरप्रदेश चुनाव सुश्री भारती के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं हैं। इसके परिणामों पर ही उनके भविष्य की भूमिका काफी हद तक निर्भर है। बहरहाल सुश्री भारती की वापसी से फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और उनकी सरकार को कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है लेकिन संगठन पर जरूर असर पड़ेगा। उनकी अनुपस्थिति में प्रदेश के जिन नेताओ के कद तेजी से बढ़े थे अब उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। प्रदेश से राष्ट्रीय राजनीति में उभरे महासचिव नरेंद्र सिंह तोमर और थावरचंद गहलोत को नुकसान उठाना पड सकता है। तोमर उत्तरप्रदेश के प्रभारी महासचिव हैं जहां पार्टी ने उमा भारती को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां पार्टी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है तो इसका सारा श्रेय उमा के खाते में जाएगा न कि तोमर के। पार्टी भले ही अभी भारती को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी न सौंपे लेकिन उत्तरप्रदेश के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन पर पार्टी में उन्हें संगठन में लेने का दबाव बढ़ेगा। पार्टी सूत्रों की माने तो भारती को पार्टी महासचिव जैसे महत्व वाले पदों से अभी दूर ही रखा जाएगा। उनका उपयोग गंगा अभियान, हिन्दुत्व व राम मंदिर मुद्दे को लेकर किया जाएगा। वह एक बार फिर देश में हिन्दुत्व के लिए संघ की गाइडलाइन पर काम करेंगी। उनकी वापसी भी इसी उद्देश्य को लेकर ऐसे समय में की गई जब इस मुद्दे को हवा दी जा सकती है। दूसरा पार्टी उनके जरिए पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को भी करारा जवाब दे सकेगी। सुश्री भारती ने ही प्रदेश में दिग्विजय सरकार को उखाडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्हें मिस्टर बंटाढार की संज्ञा दी थी। पार्टी उत्तरप्रदेश में भी दिग्विजय सिंह को शिकस्त देना चाहती है। उमा के जरिए भाजपा मप्र के सीमावर्ती उत्तरप्रदेश के जिलों में माहौल बनाने का काम करेगी। असंतुष्ट होंगे सक्रिय अभी तक प्रदेष में षिव सरकार और संगठन से असंतुष्ट भाजपा नेता, मंत्री और कार्यकर्ता अब तक षांत बैठे थे लेकिन भारती की वापसी से यह सक्रिय होंगे। उन्हें सुश्री भारती के रूप में एक सरपरस्त और दमदार नेता मिल गया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि अभी तक ऐसे असंतुष्ट मंत्रियों और नेताओं से उमा के अच्छे संबंध रहे हैं। अब तक खामोषी ओडे बैठे यह नेता अब आगे बढकर उनकी वापसी पर बयान जारी कर रहे हैं।[ दखल]