मत चूके चौहान
धनंजय प्रताप सिंह मामला भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता, अपराधीकरण अथवा चाल, चरित्र-चेहरे का हो, ऐसे सभी मुद्दों पर राजनेताओं में हो रहे अवमूल्यन पर आम लोगों का टका सा जवाब होता हैं कि जैसी कांग्रेस वैसी भाजपा | पार्टी विथ डिफ़रेंस के लिए जो पार्टी पहचानी जाती थी, उस भाजपा ने भी स्वीकार कर लिया सत्ता-संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेताओं, मंत्रियों के आचरण से पार्टी कि छवि को खासा नुकसान उठाना पड़ा हैं | यह मामला कुछ दिनों पहले दिल्ली में हुई राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ की बैठक में भी सामने आया | पार्टी सुप्रीमो नितिन गडकरी और अनंत कुमार दोनों उस बैठक में मौजूद थे | इसी बैठक में तय किया गया कि अब भाजपा अपनी छवि से समझौता नहीं करेंगी | इस बैठक के फैसलों का सबसे पहला टारगेट मध्यप्रदेश बना हैं | जहां प्रदेश कार्य समिति की बैठक में अनंत और गडकरी दोनों आये और पार्टी के शुद्धिकरण की शुरुआत करने की बात कही | पहले दिन अनंत ने कहा दागियों-बागियों को बहार करों, गडकरी ने भी दूसरे दिन उस पर मुहर लगा दी कि पार्टी अब साख से समझौता नहीं करेगी |दरसल दोनों दिग्गजों ने यह सीख संघ के दबाव में दी है| दोनों ने ही स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था के मामलों में जिन मंत्रियों के कारण सरकार और संगठन कि छवि ख़राब हो रही हैं, उनके बारे में फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लेंगे | इसका आशय स्पष्ट हैं कि अब मुख्यमंत्री भी संघ या हाईकमान का बहाना करके किसी दागी को बचा नहीं पाएंगे | दरसल अब पार्टी, संघ और हाईकमान ने गेंद शिवराज के पाले में डाल दी हैं कि वाही फैसला करें | अब शिवराज को चाहिए कि दागियों का फैसला लेते समय ध्यान रखें कि किन मंत्रियों के आचरण, कार्यसंस्कृति, भ्रष्टाचार के कारण सामाज में गलत संदेश जा रहा हैं |ऐसा न हो भ्रष्ट, ताकतवर मंत्री अपनी ताकत या प्रभाव का इस्तेमाल बन कर फिर बच जाएं | ब्यूरोक्रेसी के भ्रष्टाचार के मामले में मापदंड अलग हैं | ऐसा न हो | यहाँ यह भी जरुरी हैं कि फैसला भी जल्दी हो जाए अन्यथा शिमला कि चिंतन बैठक की तरह ही इस बार की कवायद भी सिर्फ कोरी घोषणा साबित न हो | गडकरी ने एक बात और कही कि भाजपा अब ऐसे प्रशिक्षित कार्यकर्त्ता तैयार करेगी जो विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हों, संगठन के लिए समर्पित हो, पार्टी कि कार्यशैली को स्वीकार करें, अनुशासित और इमानदार हों, जरुरी यह हैं कि संघ की तर्ज पर ऐसे प्रशिक्षण सबसे पहले संगठन और सरकार के महत्त्वपूर्ण पदों पर बैठे नेताओं को दिए जाए, ताकि भाजपा और अन्य दलों के बीच अंतर दिखलाई पड़े | मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चाहिए कि वे दागियों-बागियों का फैसला जल्द करें| यदि ऐसा हुआ तो रतलाम दस्तावेज भाजपा कि नई यात्रा के लिए ऐतिहासिक साबित होंगे | शिवराज के दागी-बागी और भ्रष्ट मंत्रियों ने सरकार के चेहरे पर कालिख पोतने में कोई कसर नहीं छोड़ी | जब 'पत्रिका' ने इनके चेहरे बेनकाब किए तो इन्होने अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल कर लोकतंत्र के चौथे खंभे कि आवाज दबाने कि भी कोशिश कि, लेकिन उनकी ये कोशिश कामयाब न हो सकी | अब शिवराज के पास वक्त भी हैं और मौका भी | जरूरत हैं इस मौके को किसी ठोस और सही फैसले में तब्दील का बीजेपी को वाकई पार्टी विथ डिफ़रेंस बनाने का | यदि शिवराज ने मत चूके चौहान कि तर्ज पर काम किया तो इसका असर अकेले पार्टी पर नहीं बल्कि पूरे प्रदेश पर पड़ेगा | (दखल) (पत्रकार धनंजय प्रताप सिंह की यह टिप्पणी पत्रिका से साभार |)