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नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने रविवार को रतलाम में कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा एक छलावा है। इसके जरिए नर्मदा घाटी को खाली कराने की साजिश की जा रही है। नर्मदा नदी से प्रतिदिन एक-एक गांव में 1500 टन रेत का खनन हो रहा है। सेवा यात्रा अवैध गतिविधियों की मंजिल तक पहुंचने का मार्ग है, जिससे लोगों का ध्यान भटकाकर लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की जा रही है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता इस यात्रा का विरोध जगह-जगह कर रहे है, लेकिन विपक्ष की चुप्पी समझ से परे है।
रतलाम के पत्रकार भवन में मीडिया से चर्चा करते हुए सुश्री पाटकर ने नर्मदा सेवा यात्रा को लेकर सरकार के साथ विपक्ष को कटघरे में खड़ा किया। उनके अनुसार कांग्रेस को ये तमाम मुद्दे उठाने चाहिए थे, लेकिन वह क्यो नहीं उठाना चाहती है ये समझने की बात है। इससे लगता है कि कहीं न कहीं अंदर से नीचे स्तर पर पक्ष और विपक्ष दोनों एक ही है। उन्होंने कहा कि नर्मदा सहित हर नदी की सेवा करने में राजनेता लगे है, लेकिन प्रत्यक्ष में नदियों को खत्म करने वाला काम हो रहा है। अवैध रेत खनन ने यमुना को खत्म कर दिया है। आगामी पांच साल में नर्मदा की भी यहीं स्थिति होगी, क्योकि अवैध खनन के साथ उसके आसपास कई गलत काम हो रहे है।
पाटकर ने कहा सीएम से लेकर कलेक्टर तक हर कोई जानता है कि अवैध काम चल रहा है, लेकिन सर्वथा ईच्छा शक्ति का अभाव है।
नेताओ को डर है कि यदि माफियाओं को दूर करेंगे, तो अगला चुनाव नहीं जीत सकेंगे। एनजीटी बार-बार चेतावनी देकर कार्रवाई की बात कर रहा है, लेकिन राजनैतिक दलों के नुमाइंदे खुलेआम पुलिस व प्रशासन के समक्ष अवैध काम कर रहे है। उन्हें हर स्तर पर पूरा समर्थन मिल रहा है।
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