न्यूज़ एक्सप्रेस ,साई प्रसाद ग्रुप के ठिकाने पर छापा
चिटफंडियों का एक दफ्तर सील ग्वालियर में न्यूज एक्सप्रेस की आड़ में चल रहे साई प्रसाद ग्रुप के तहत संचालित कंपनियां मैसर्स साई प्रसाद फूड लिमिटेड, मैसर्स साई प्रसाद प्रापर्टीज लिमिटेड और साईप्रसाद कारपोरेशन के एक ठिकाने को जिला प्रशासन ने मंगलवार को कुर्क करके सील कर दिया। छापमार कार्रवाई के दौरान प्रशासनिक टीम को चिटफंड कारोबार चालू रहने के सुबूत मिले हैं। समूह की परिसंपत्ति का सर्वे कर उसे प्रशासन सील करेगा। ताकि छह हजार से अधिक आवेदकों को उनका पैसा वापस कराया जा सके।एसडीएम अजयदेव शर्मा, विदिशा मुखर्जी अखिलेश जैन के नेतृत्व में सिटी सेंटर स्थित न्यूज एक्सप्रेस गुप के नाम से संचालित परिसर में छापा मारा। गहन छानबीन की गई तो यहां चिटफंड कारोबार के तमाम दस्तावेज मिले। इनमें डिबेंचर, निवेशकों के चेक, पॉलिसियां, नोट गिनने की तीन मशीनें और साईप्रसाद ग्रुप्स के तीनों कंपनियों की सीलें बरामद हुई। कार्रवाई के दौरान कंपनी का कोई आधिकारिक प्रतिनिधि नहीं मिला। निचले स्तर के कर्मचारी जरूर मिले। जिनके पंचनामा पर हस्ताक्षर करा लिए गए। प्रशासन से समूची हार्ड डिस्क और सॉफ्टवेयर आदि जब्त कर पूरे परिसर को विधिवत सील कर दिया।ये प्रशासनिक कार्रवाई कलेक्टर पी नरहरि के धारा 144 के तहत जारी आदेश के तहत हुई। प्रशासनिक जानकारी के मुताबिक जिले में इसके छह हजार से अधिक निवेशक हैं। जिनकी देनदारी करीब दस करोड़ से अधिक है। प्रशासनिक जानकारी 2011 के आकलन पर आधारित है। कार्रवाई के दौरान जांच टीम में तहसीलदार डीडी शर्मा, नायब तहसीलदार योगिता बाजपेयी, मधुलिका सिंह, राजस्व निरीक्षक संदीप तिवारी,शिवदयाल शर्मा और महेन्द्र यादव शामिल रहे।प्रशासन निवेशकों के मदद के लिए वचनबद्ध हैं। किसी भी गैर वैधानिक कंपनी को कामकाज नहीं करने दिया जाएगा। लोगों का पैसा वापस हो। इसके लिए अभी और प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।- पी नरहरि,कलेक्टरकोरियर ने उगली सच्चाईप्रथम दृष्टया जांच अफसरों को कोई खास जानकारी नहीं मिली। तभी अचानक वहां कुरियर पहुंचा। चिटफंड प्रकोष्ठ की प्रभारी अफसर विदिशा मुखर्जी ने तत्काल उससे पूछताछ की। पूछताछ में उससे पूछा क्या लाए हो, बोला कि साईप्रसाद फूड की डाक है। कब से ला रहे हो, मैं ही हमेशा लाता हूं।तब तक कुरियर वाला समझ नहीं पाया कि सवाल दागने वाले ये लोग कौन है? उसने देखा कि दूर पुलिस भी है तो वह समझ गया कि जांच हो रही है। बोला साहब मैं जाऊं। इसके बाद अफसरों ने कुरियर के लिफाफे को खोल तो उसमें साईप्रसाद फूड और प्रापर्टीज के लिए काम कर रहे एजेंटों के कमीशन का विवरण था। आठ कमीशन एजेंटों का मई माह का कमीशन दो लाख से अधिक बताया गया।फैक्ट फाइलवष्ाü 2011 में तत्कालीन कलेक्टर ने साईप्रसाद फूड एवं प्रापर्टीज के कार्यालयों पर कार्रवाई की थी। तब ये मामला हाईकोर्ट में चला गया। तब प्रभावी कार्रवाई से ये ग्रुप बच गया था।जबलपुर हाईकोर्ट में रिट याचिका क्रमांक 6371/2011,6451/2011 एवं 11247/2011 पीआईएल तथा रिट अपील 596/2011 में 12 मई 2014 को आदेश पारित किया गया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि ये ग्रुप जमा स्वीकार नहीं कर सकता। क्योंकि रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने इस कंपनी को जनता से जमा स्वीकार करने के लिए पंजीयन प्रमाण पत्र नहीं दिया है। इस कंपनी ने कलेक्टर से मध्यप्रदेश निक्षपकों के हित संरक्षण अधिनियम के तहत लेन देने की अनुमति भी नहीं ली।जबलपुर हाईकोर्ट ने कलेक्टर्स को कार्रवाई के लिए लिखा।हाईकोर्ट के आदेश के पालन के लिए मध्यप्रदेश वित्त विभाग ने सभी कलेक्टर्स को प्रभावी कार्रवाई के लिए लिखा था।[पत्रिका से साभार ]