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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नर्मदा को प्रदूषणमुक्त करने का सामूहिक संकल्प नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान लिया जायेगा। नर्मदा के दोनों तट पर वृक्षारोपण, नर्मदा में मल-जल का मिलान रोकने के कार्य, खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करने, पूजन कुंड और विश्रामघाट निर्माण के लिए जन-सहमति के साथ प्रयास किये जायेंगे। श्री चौहान आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने माँ नर्मदा पर केन्द्रित गीतों की सी.डी. का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा 2016 का शुभारंभ 11 दिसम्बर को अमरकंटक से होगा। नर्मदा के उत्तर-दक्षिण दोनों तटों से होते हुए यात्रा 11 मई 2017 को अमरकंटक में सम्पन्न होगी। यात्रा अवधि में 1900 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा होगी। केवल निर्जन स्थानों पर यात्रा वाहन के माध्यम से होगी। उन्होंने कहा कि नदी संरक्षण की सामाजिक पहल अधिक प्रभावी और कारगर होती है। इसी मंशा से नर्मदा सेवा यात्रा का संयोजन किया गया है। यात्रा के दौरान अलग-अलग स्थानों और समय पर समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। शुभारंभ अवसर पर स्वामी अवधेशानंद, स्वामी चिदांनद, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री भैय्या जी जोशी, मैगसेसे पुरस्कार विजेता श्री राजेन्द्र सिंह और अमरकंटक के स्थानीय संत शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की नर्मदा के जल की हर बूँद के उपयोग की वर्ष 2024 तक की कार्य-योजना तैयार है। नर्मदा में जल की निरंतर उपलब्धता के लिये वृक्षारोपण की आवश्यकता को देखते हुए वैधानिक प्रावधानों के बजाय जनमानस की सहमति से प्रदूषणमुक्ति के प्रयास अभियान का आधार है। नर्मदा की बाढ़ क्षेत्र के दोनों तटों के एक-एक किलोमीटर क्षेत्र में फलदार वृक्षारोपण के लिए किसानों को संकल्प दिलवाया जायेगा। उनकी आजीविका प्रभावित नहीं हो। इस के लिए फलदार वृक्ष लगवाने के लिए प्रेरित किया जायेगा। कौन सा वृक्ष कब रोपित किया जायेगा, इसकी विशेषज्ञों द्वारा रूपरेखा तैयार की गई है। वृक्षों में फल आने तक किसानों को प्रति हेक्टर 20 हजार रूपए के मान से आर्थिक सहयोग किया जायेगा। यात्रा के दौरान संकल्प पत्र भरवाए जायेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अभियान नर्मदा संरक्षण का सामाजिक आंदोलन है। इसमें सरकार समाज के सहयोगी की भूमिका में होगी। आस-पास के क्षेत्रों में पर्यावरण जागृति के लिए उपयात्राएँ निकाली जायेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि यात्रा अवधि में सप्ताह में किसी एक दिन वे स्वयं भी यात्रा में शामिल होंगे।
श्री चौहान ने समाज के हर व्यक्ति और संस्था से अपील की है कि जीवनदायिनी नर्मदा नदी के संरक्षण के इस महत्वाकांक्षी जन-आंदोलन में सक्रिय सहयोग दें।
इस अवसर पर जन-अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय और श्री राघवेन्द्र गौतम उपस्थित थे।
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