Patrakar Priyanshi Chaturvedi
हनुमानगढ़ के टिब्बी क्षेत्र में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर जारी तनाव चौथे दिन भी कम नहीं हुआ। राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड प्लांट के विरोध में आंदोलन कर रहे ग्रामीणों और प्रशासन के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थिति नियंत्रित रखने के लिए शुक्रवार को भी इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं। कई परिवार अपने घरों में ताले लगाकर बाहर चले गए हैं, जबकि बड़ी संख्या में लोग गुरुद्वारे में शरण लिए हुए हैं। यहां घायल ग्रामीणों का प्राथमिक उपचार भी किया जा रहा है।
गुरुद्वारे में जुटे किसान नेताओं की कोर कमेटी ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक जिले के कलेक्टर और एसपी का ट्रांसफर नहीं होता, वे किसी तरह की बातचीत नहीं करेंगे। महिलाओं ने आरोप लगाया है कि बवाल वाले दिन पुलिस ने गोलियां चलाईं और उन्होंने कथित कारतूस के खोल भी दिखाए। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की सख्ती और डर के माहौल के कारण लगभग 30 से ज्यादा परिवारों ने घर खाली कर दिए। दूसरी ओर, प्रशासन ने पुलिस फायरिंग से इनकार किया है। एडीजी वीके सिंह ने दावा किया कि स्थिति बिगाड़ने में बाहरी तत्व शामिल थे, जबकि किसान नेता इसे प्रशासन की नाकामी बता रहे हैं।
10 दिसंबर की हिंसक झड़प ने हालात को और बिगाड़ दिया है। किसानों ने उस दिन फैक्ट्री की बाउंड्री वॉल तोड़ दी थी और ऑफिस में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई, जिसमें करीब 70 लोग घायल हुए। कई महिलाओं ने कहा कि फैक्ट्री शुरू हुई तो पानी और हवा प्रदूषित होगी—दमा, कैंसर और त्वचा रोग जैसे खतरे बढ़ेंगे। उधर कंपनी का कहना है कि 40 मेगावाट क्षमता वाला यह प्लांट एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल मिशन को बढ़ावा देगा और 700–800 लोगों को रोजगार मिलेगा। 17 दिसंबर को किसान संघर्ष समिति ने कलेक्ट्रेट घेराव की चेतावनी दी है, जिससे तनाव और बढ़ने की आशंका है।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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