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नई दिल्ली । दिल्ली के छतरपुर स्थित कात्यायनी शक्ति पीठ से शुक्रवार को बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा 2025 शुरू हुई। यह पदयात्रा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर तक जाएंगी। 10 दिन की यह पदयात्रा दिल्ली, हरियाणा से गुजरते हुए उत्तर प्रदेश के वृंदावन में 16 नवंबर को संपन्न होगी।
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने पदयात्रा प्रारंभ करते हुए कहा कि आज दिल्ली में लाखों सनातनी हिंदू एकता व हिंदू राष्ट्र के लिए सड़कों पर हैं, यह देश एक नया अध्याय लिख रहा है। यह एक वैचारिक यात्रा है। इसमें सनातनियों को एक करने के लिए, हिंदुओं को जगाने लिए, हिंदुओं को जागरूक करने व सामाजिक समरसता के लिए यह पदयात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि जब तक भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बनेगा, तब तक यह यात्राएं निकाली जाएंगी।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना तभी पूर्ण होगी, जब आम जनमानस एकजुट होकर यही आवाज लगाए। हम कागजों पर हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि विचारों में हिंदू राष्ट्र चाहते हैं, इसलिए दिल्ली की शक्तिपीठ से वृन्दावन की भक्ति नगरी यह पदयात्रा निकल रही है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा इस यात्रा की शुभारंभ में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट पर इसे साझा करते हुए कहा कि यह पदयात्रा सनातन संस्कृति की आत्मा को पुनः जाग्रत करते हुए पूरे देश में एकता, श्रद्धा और आध्यात्मिक चेतना का संदेश देगी। उन्होंने कहा कि इस आध्यात्मिक यात्रा के माध्यम से हमारे आस्था और एकत्व के संस्कार पुनः पुष्ट हो रहे हैं। इसमें शामिल होना एक अत्यंत अलौकिक और भावनात्मक अनुभव रहा। मुख्यमंत्री ने श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को दिल्ली से ब्रजभूमि तक इस पावन ‘सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा’ के सफल संपादन के लिए शुभकामनाएं दी।
कपिल मिश्रा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि बाबा बागेश्वर धाम सरकार के पावन सानिध्य में दिल्ली से वृंदावन तक आरंभ हुई सनातन एकता पदयात्रा- यह केवल कदमों की चाल नहीं, आस्था और विश्वास की पुकार है, संस्कृति के संरक्षण और सनातन एकता के पुनर्जागरण का महायज्ञ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का इस पदयात्रा में सम्मिलित होना, यह प्रमाण है कि जब शासन और सनातन संस्कार एक पथ पर चलते हैं, तब संस्कृति अमर होती है, और राष्ट्र मजबूत बनता है।
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