Patrakar Priyanshi Chaturvedi
कोच्चि । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को केरल के एर्नाकुलम स्थित सेंट टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति को प्रेम के प्रतीक के रूप में देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते पांच उपहार भेंट किए गए।
सेंट टेरेसा कॉलेज का शताब्दी समारोह दोपहर 12.10 बजे कॉलेज के प्लेटिनम जुबली ऑडिटोरियम में शुरू हुआ। राष्ट्रपति ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सेंट टेरेसा कॉलेज आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ भारत में महिला शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है। यह सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण में एक महान योगदान है। हमें उन प्रतिष्ठित व्यक्तियों की दूरदर्शिता और विरासत को गहराई से स्वीकार करना चाहिए, जिन्होंने इस संस्थान का निर्माण किया और इसे एक शताब्दी तक निरंतर उपलब्धियों के पथ पर अग्रसर किया।
राष्ट्रपति ने 2047 तक विकसित भारत के विजन को प्राप्त करने के लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाला समाज अधिक मानवीय और प्रभावी होगा। भारत की संविधान सभा की सदस्य 15 महिलाओं में से तीन - अम्मू स्वामीनाथन, एनी मस्कारेने और दक्षायनी वेलायुधन केरल से थीं। उन्होंने न्यायमूर्ति अन्ना चांडी और न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी जैसी राज्य की अग्रणी महिलाओं का भी उल्लेख किया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने शिक्षा और आध्यात्मिक मूल्यों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सेंट टेरेसा की सराहना की। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सेंट टेरेसा कॉलेज ने शिक्षा के माध्यम से स्थिरता, नेतृत्व और एजेंसी को बढ़ावा देने के लिए स्लेट नामक परियोजना शुरू की है। इस परियोजना को शुरू करके, कॉलेज ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। युवाओं को सतत विकास लक्ष्यों के तहत भारत के लक्ष्यों से जोड़ना और उन्हें भविष्य की नौकरियों के लिए सक्षम बनाना इस परियोजना के सराहनीय उद्देश्य हैं।
समारोह में कुल 1632 आमंत्रित अतिथि शामिल हुए। इनमें 839 छात्र, 220 एनएसएस-एनसीसी स्वयंसेवक, 225 शिक्षक और 200 से ज़्यादा अतिविशिष्ट व्यक्ति थे। राष्ट्रपति मुर्मु केरल की अपनी चार दिवसीय यात्रा पूरी करके दिल्ली लौट गईं हैं। वह दोपहर 2.15 बजे कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से दिल्ली लौटीं।
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