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छतरपुर के जिला अस्पताल से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है..... जहाँ चूहों का आतंक इतना बढ़ गया है की लोगो का वहां रहना मुश्किल हो चूका है.......बच्चों के वार्ड से लेकर प्रसूता वार्ड तक चूहों का आतंक इतना बढ़ गया है कि महिलाएं अपने नवजातों को हर वक्त आंचल में छुपाकर रखने को मजबूर हैं...
ये तस्वीरें अस्पताल की भयावह हकीकत बयां कर रही हैं..... जहां इलाज के लिए रखी गई दवाओं की अलमारियों में चूहों का आतंक साफ देखा जा सकता है...... रिकॉर्ड रूम के दस्तावेज हों या ज़रूरी दवाइयाँ हर जगह चूहों ने तबाही मचा रखी है...... हैरानी की बात ये है कि डेढ़ साल पहले चूहों को भगाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने 1.5 लाख रुपये खर्च कर एक कंपनी को ठेका दिया.... लेकिन ना तो कोई असर दिखा और ना ही कोई रिकॉर्ड है कि कितने चूहे मारे गए..... अब जब स्थिति बेकाबू हो गई है, तब जाकर प्रशासन नींद से जागा है और सिविल सर्जन ने नया टेंडर जारी कर फिर से सफाई का अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं.....लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आम लोग, खासकर बीमार और गर्भवती महिलाएं जिनका सहारा यही अस्पताल है..... वो ऐसी गंदगी और लापरवाही के बीच कैसे सुरक्षित इलाज पा सकेंगी .... आखिरकार, अस्पताल प्रशासन की इस घोर लापरवाही का खामियाजा आम जनता को क्यों भुगतना पड़ रहा है......
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