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नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कार्यकर्ताओं के बारे में आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर अपलोड करने के मामले में कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को अग्रिम जमानत दे दी है। जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने मध्यप्रदेश पुलिस को इस बात की छूट दी कि अगर हेमंत मालवीय जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें मिली अग्रिम जमानत रद्द कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि हेमंत मालवीय ने अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज पर माफीनामा अपलोड किया है। हेमंत मालवीय की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्हें कोई समन जारी नहीं किया गया है। तब मध्यप्रदेश पुलिस की ओर से पेश एएसजी केएम नटराज ने कहा कि जब सभी साक्ष्य एकत्र हो जाएंगे, तो समन जारी किया जाएगा।
न्यायालय ने 19 अगस्त को मालवीय के वकील से कहा था कि याचिकाकर्ता अपना माफीनामा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड करें। मालवीय ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 3 जुलाई को अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी का घोर दुरुपयोग है। सुनवाई के दौरान मालवीय की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने न्यायालय से कहा था कि मालवीय का कार्टून 2021 का कोरोना के समय का है। उन्होंने कहा था कि उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि अर्नेश कुमार और इमरान प्रतापगढ़ी वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले लागू नहीं होंगे। ग्रोवर ने कहा था कि उच्च न्यायालय ने कार्टूनिस्ट की आलोचना करते हुए कहा कि इस अपराध के तहत भारतीय न्याय संहिता में अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है।
मालवीय के खिलाफ इंदौर के लसूड़िया पुलिस थाने में संघ के स्थानीय कार्यकर्ता और वकील विनय जोशी ने एफआईआर दर्ज करवायी थी। एफआईआर में मालवीय के खिलाफ हिन्दुओं की भावनाएं आहत करने और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश का आरोप लगाया गया है।
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