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27 जुलाई की सुबह जब पुरे देश के लोग अपने काम पर निकल रहे थे .... तब मैहर की बेटी अंजना सिंह यूरोप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर देश का तिरंगा लहरा रही थीं.... 18 हज़ार 510 फीट की ऊंचाई ,शून्य से नीचे का तापमान और ऑक्सीजन की कमी के बीच अंजना ने वो कर दिखाया ... जो लाखों का सपना होता है....
एक किसान परिवार से आने वाली 26 वर्षीय अंजना सिंह ने साबित कर दिया कि संघर्ष और संकल्प से हर सपना साकार किया जा सकता है... उनके पिता राजेश सिंह ग्राम बेंदुरा कला में एक छोटे किसान हैं .... अंजना ने बताया कि उनका यह सपना केवल उनका नहीं था... बल्कि पूरे गांव, जिले और देश का भी था ... उन्होंने कहाँ की चोटी के निकट पहुंचते समय उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी .... लेकिन इस कठिन घड़ी में भी अंजना ने हार नहीं मानी .... और अपनी यात्रा पूरी की ..... उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और अपने गुरु को दिया है ... अंजना की इस सफलता ने न केवल उनके गांव को नहीं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश को गौरवान्वित किया है.... उन्होंने मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा चलाए जा रहे... नशामुक्ति अभियान को लेकर लोगों को जागरूक करने, और युवाओं से नशे से दूर रहने की अपील की ...... और साथ ही बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ने की बात कही हैं .... माउंट एल्ब्रुस रूस और यूरोप का दो शिखर वाला सबसे ऊँचा पर्वत है ....ये यह पर्वत समुद्र तल से 5 हज़ार 642 मीटर ऊँचा है और यह एक सुप्त स्ट्रैटोज्वालामुखी है ... ये पर्वत दुनिया की दसवीं सबसे प्रमुख चोटी भी है। एल्ब्रुस के पूर्वी शिखर पर सबसे पहले चढ़ाई 10 जुलाई 1829 को खिल्लर खशीरोव नामक एक सर्कसियन व्यक्ति द्वारा की गई थी .. और पश्चिमी शिखर पर 1874 में एफ. क्रॉफर्ड ग्रोव के नेतृत्व में एक ब्रिटिश अभियान दल द्वारा चढ़ाई की गई थी ...
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