मप्र हाईकोर्ट ने बिना कोर्ट आदेश के कब्जा दिलवाने पर कलेक्टर और तहसीलदार को चेताया
jabalpur, Madhya Pradesh ,High Court warned

जबलपुर । मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक बेहद अहम आदेश में भोपाल जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों कलेक्टर और तहसीलदार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे एक सप्ताह के भीतर हलफनामा के माध्यम से यह बताएं कि उन्होंने किस अधिकार के तहत,बिना किसी न्यायालयीन आदेश के, एक संपत्ति का कब्जा छीनकर उसे उधारकर्ता को वापस सौंप दिया। कोर्ट ने इस गंभीर मामले को न्यायिक व्यवस्था गरिमा से जोड़ते हुए स्पष्ट किया कि कानून के शासन में प्रशासनिक मनमानी की कोई जगह नहीं हो सकती। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए यह कहा है प्रशासनिक अधिकारियों को न्यायिक आदेशों की अनदेखी कर मनमानी नहीं करने दी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि 12 सितंबर 2024 को ऋण वसूली न्यायाधिकरण ने बैंक द्वारा की गई कब्जा कार्रवाई को अवैध करार देते हुए संपत्ति को उधारकर्ता को लौटाने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद बैंक ने 23 सितंबर को ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील दायर कर दी थी और मामला 24 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया था। इसी बीच, बिना दृत के किसी स्पष्ट आदेश के, भोपाल के प्रशासनिक अधिकारियों कलेक्टर और तहसीलदार ने खुद से कब्जा वापसी की कार्रवाई प्रारंभ कर दी। हाईकोर्ट ने इस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि "प्रशासनिक अधिकारी स्वयं न्यायालय नहीं हो सकते।"

हाई कोर्ट में बैंक की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रशासन द्वारा की गई यह कार्रवाई पूरी तरह से एकतरफा और न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार करने वाली है। उनका कहना था कि जब दृत के समक्ष मामला लंबित था और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया था, तब कलेक्टर व तहसीलदार द्वारा की गई कार्रवाई न केवल अतिक्रमण है, बल्कि अदालत की अवमानना के दायरे में आती है।

सुनवाई के दौरान, भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। कोर्ट ने कलेक्टर को केवल इस बार के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति से तो छूट दे दी,लेकिन जब बिना किसी आदेश के उनके द्वारा की गई कार्यवाही पर कोर्ट ने सवाल किया तो भोपाल कलेक्टर ने कोर्ट से माफी मांगते हुए यह बताया की आवेदनकर्ता के द्वारा उनके सामने लगाई गई गुहार को देखते हुए मानवता के तौर पर यह एक्शन लिया गया था। जिस पर कोर्ट ने भोपाल कलेक्टर सहित तहसीलदार को भी फटकार लगाई और इस कार्रवाई को सीधी-सीधी मनमानी बताया। साथ ही,कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में,अधिकारियों की जवाबदेही सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है और वह न्यायालय बनने की कोशिश ना करें। अब भोपाल कलेक्टर को एक हफ्ते के बीच अपना जवाब हलफनामे में कोर्ट के सामने पेश करना होगा। जबलपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच,जिसकी अध्यक्षता जस्टिस संजीव सचदेवा कर रहे थे,उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन इस तरह से कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करता रहा, तो यह न केवल विधिक प्रणाली में अराजकता को जन्म देगा, बल्कि आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन भी करेगा। हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 24 अप्रैल 2025 निर्धारित की है।

 

Dakhal News 18 April 2025

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