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मध्य प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में इंसान और हाथियों के बीच समन्वय स्थापित करने के उपायों पर मंथन किया गया। इस कार्यशाला में अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए, जो उन्होंने दक्षिण भारत के तमिलनाडु और कर्नाटक में हाथियों के प्रबंधन के विषय में सीखा।
मानव हाथी द्वंद को रोकने की कवायद
उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में आयोजित इस कार्यशाला में PCCF वाइल्ड लाइफ, शुभरंजन सेन ने बताया कि मध्य प्रदेश में हाथियों की आमद एक नया और महत्वपूर्ण मामला है, जिसे सही तरीके से समझने और प्रबंधित करने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। उनका उद्देश्य मानव और हाथी के बीच द्वंद को रोकना और हाथियों का संरक्षण एवं संवर्धन करना है।
दक्षिण भारत से मिली अहम जानकारी
शुभरंजन सेन ने बताया कि हाथियों के प्रबंधन के लिए एक दल को दक्षिण भारत भेजा गया था, जहां इन राज्यों में हाथियों की संख्या अधिक है और उनका प्रबंधन अच्छा किया जा रहा है। वहां के अनुभवों को मध्य प्रदेश में लागू करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
कार्यशाला में हाथियों के व्यवहार को समझने पर ध्यान केंद्रित किया गया
कार्यशाला के दौरान, अधिकारियों ने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश में आने वाले हाथियों और उनके इंसान के साथ रिश्तों को लेकर चर्चा की। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जंगली हाथियों के व्यवहार को समझना और उनका बेहतर प्रबंधन करना था ताकि भविष्य में जान-माल का नुकसान रोका जा सके।
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