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मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। कांग्रेस के नेताओं ने आज सरकार के कर्ज में डूबे होने और इसके बावजूद राज्य के विकास में कोई सुधार न होने को लेकर एक अनोखे तरीके से विरोध किया। उन्होंने हाथों में कटोरा लेकर भीख मांगने का प्रदर्शन किया, जिसका उद्देश्य सरकार की नाकामी और जनकल्याण योजनाओं की विफलता को उजागर करना था। यह प्रदर्शन विशेष रूप से राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति पर सवाल उठाने के लिए था, जिसमें कांग्रेस ने राज्य में आर्थिक तंगी और योजनाओं के ठंडे बस्ते में जाने को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की।
कर्ज में डूबी सरकार पर विपक्ष का हमला
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस के नेता विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने खड़े होकर हाथों में कटोरा लेकर भीख मांगने का प्रदर्शन कर रहे थे। उमंग सिंघार ने कहा कि सरकार तो कर्ज ले रही है, लेकिन इसके बावजूद राज्य में कोई विकास नहीं हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बेरोजगारी के मुद्दे पर स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और सरकारी नौकरियों में कोई भर्ती नहीं हो रही है। इसके अलावा, सिंघार ने कहा कि गरीब कल्याण योजनाओं में सरकार पैसा नहीं दे पा रही है, किसानों को गेहूं और धान का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, और महिलाओं को ₹3000 की सहायता भी नहीं दी जा रही है। इस प्रदर्शन के माध्यम से कांग्रेस ने सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर निशाना साधा।
मध्य प्रदेश को कर्ज के जाल में धकेलने का आरोप
उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने आरोप लगाया कि सरकार मध्य प्रदेश को भिखारी बनाने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार करोड़ों रुपये का कर्ज ले रही है, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। कटारे ने कहा कि राज्य में पैदा होने वाला हर बच्चा लगभग ₹50,000 का कर्जदार हो रहा है, जिसे आने वाली पीढ़ियों को चुकाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कर्ज लेकर सरकार हेलीकॉप्टर और सुख-सुविधाओं पर खर्च कर रही है, लेकिन जनता को कोई फायदा नहीं हो रहा है। वहीं, विधायक सचिन यादव ने सरकार की वित्तीय नीतियों को पूरी तरह से विफल बताया। उन्होंने कहा कि सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है, और अब तो स्थिति यह हो गई है कि केवल ब्याज चुकाने के लिए भी नया कर्ज लेना पड़ रहा है। यादव ने यह भी सवाल उठाया कि यदि सरकार इतना कर्ज ले रही है, तो फिर स्कूलों में टीचर और अस्पतालों में डॉक्टर क्यों नहीं हैं? उन्होंने सरकार से यह मांग की कि इस पूरे मामले में एक श्वेत पत्र जारी किया जाए, ताकि जनता को सरकार के कर्ज की वास्तविक स्थिति के बारे में पता चल सके।
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