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मध्यप्रदेश में खेती की जमीन के हर खसरे पर अब आधार नंबर दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा पूरी जमीन की सैटेलाइट मैपिंग कर आधार बेस्ड डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। इस कवायद से मुआवजे और बीमा में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने में मदद मिलेगी। इसके लिए कृषि विभाग ने राजस्व की मदद से जमीन की मैपिंग का काम शुरू किया है। राजस्व विभाग ने जमीनों के पूरे रिकार्ड को डिजिटल कर लिया है, लेकिन अभी रिकार्ड को देखकर भूमि स्वामी का पता नहीं चलता। खेती की जमीन में केवल खसरा नंबर दर्ज रहता है।
अब कृषि विभाग ने राजस्व से बात कर संयुक्त मुहिम चलाने पर काम शुरू किया। इसके तहत खेती की जमीन अलग से चिह्नित और सैटेलाइट से मैप कर हर खसरे पर मालिक का आधार नंबर से रिकार्ड पूरा दर्ज होगा। राजस्व विभाग से डिजिटल लैंड रिकॉर्ड लेकर उस पर अपडेशन किया जाएगा। यदि किसी खसरे के लिए एक से ज्यादा मालिक तो उतने ही आधार नंबर दर्ज किए जाएंगे। इससे जमीनों का रिकॉर्ड डिजिटल होने के साथ पूरी तरह रिकोनाइज्ड होगा। यानी खसरे से ही उसके मालिक की सीधी पहचान हो जाएगी।
प्रदेश सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। इसके तहत ही कृषि भूमि को मैप्ड करने का काम हो रहा है। इसमें इस पर काम शुरू किया गया है। – एंदल सिंह कंसाना, कृषि मंत्री
यह होगा फायदा
खेती की जमीन को आधार से जोड़ने पर सबसे बड़ा फायदा बीमा के तहत क्लेम और मुआवजे में होने वाली डुप्लीकेसी को रोकने का रहेगा। अभी ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं, जिसमें एक ही जमीन पर मुआवजा और बीमा में डुप्लीकेसी की गई। कारण जमीन का त्वरित तरीके से चिह्नित नहीं होना रहा। अब खसरे के साथ ही आधार नंबर से मालिक का पता चल जाएगा। वहीं जमीन पर दो जगह से कर्ज लेने के मामले हुए। आधार से कर्ज में भी डुप्लीकेसी और सीमांकन की गड़बडिय़ों पर भी रोक लगेगी।
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