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"गौ सेवा परमो धर्मः" इस प्राचीन भारतीय कथन को जीवित रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने गौवंश के संरक्षण और संवर्धन को एक बड़ा उद्देश्य बना लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार ने गौवंश के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो न केवल गौ माता की सुरक्षा के लिए हैं, बल्कि कृषि और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देने वाले हैं।
मध्यप्रदेश में 2,190 गौ-शालाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें 3 लाख से अधिक गोवंश का पालन-पोषण किया जा रहा है। यह राज्य सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है, जिसमें गौवंश के संरक्षण के साथ-साथ उनके उचित पालन और आहार की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस अभियान को प्रोत्साहन देते हुए, गौ-शालाओं को मिलने वाली पशु आहार की राशि को दोगुना कर दी गई है, जिससे अब गौवंश को 40 रुपये प्रतिदिन आहार उपलब्ध कराया जा सकेगा। इस बढ़ी हुई राशि से गौ-शालाओं में गायों की देखभाल और उनकी सेहत को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
गोवंश के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम:
मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल गौवंश के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है। गौ-शालाओं का विस्तारीकरण और उन्हें उच्च मानक पर संचालन करना, यह सुनिश्चित करता है कि प्रदेश में गौवंश के लिए बेहतर वातावरण बने और वे सुरक्षित रूप से पाले जाएं। इन गौ-शालाओं में गायों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए उन्हें उच्च गुणवत्ता का आहार दिया जा रहा है।
आधुनिक गोशालाओं का निर्माण:
प्रदेश सरकार ने अब आधुनिक गोशालाओं के निर्माण का काम भी शुरू कर दिया है, जो न केवल गौवंश के पालन के लिए उपयुक्त होंगे, बल्कि इनका स्वरूप विज्ञान और प्रौद्योगिकी के समावेश से भी जुड़ा होगा। एक ऐसी ही अत्याधुनिक गौशाला का निर्माण भोपाल के बरखेड़ी अब्दुल्ला में हो रहा है, जिसकी लागत 15 करोड़ रुपये है। यह गौशाला 25 एकड़ में फैली होगी, और इसमें 10,000 से अधिक गायों के लिए जगह होगी।
इस गोशाला में गायों के स्वास्थ्य और देखभाल के लिए सर्वसुविधायुक्त चिकित्सा वार्ड बनाए जा रहे हैं, जहां किसी भी आपातकालीन स्थिति में गायों को त्वरित चिकित्सा सेवा मिल सकेगी। इसके अलावा, गायों तक आहार, भूसा और हरी घास पहुंचाने के लिए कन्वेयर बेल्ट की व्यवस्था की जाएगी, जिससे गायों को समय पर और पर्याप्त आहार मिल सके। यह अत्याधुनिक व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि गायों को आरामदायक और स्वच्छ वातावरण में आहार मिल सके।
जैविक खाद उत्पादन संयंत्र:
इस गौशाला में एक और महत्वपूर्ण पहल की जा रही है, वह है गाय के गोबर और मूत्र से जैविक खाद बनाने का संयंत्र। इस संयंत्र के माध्यम से गोबर गैस (biogas) का उत्पादन किया जाएगा, जिसे ऊर्जा के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। साथ ही, गोबर से जैविक खाद भी तैयार किया जाएगा, जिसका उपयोग कृषि में किया जाएगा। यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जैविक खेती को बढ़ावा देगा और रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करेगा।
गौवंश के संरक्षण की दिशा में मोहन यादव का संकल्प:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के अपने संकल्प को और अधिक गति दी है। उनका कहना है कि गौवंश हमारे संस्कृतिक धरोहर, परंपरा, और पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए, उनका संरक्षण सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी आवश्यक है।
मोहन यादव ने गौवंश के संरक्षण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जो प्रदेश के कृषि और पर्यावरण को भी प्रभावित करेंगी। उनका मानना है कि गाय न केवल हमारे धार्मिक विश्वासों का हिस्सा है, बल्कि खेती-बाड़ी और प्राकृतिक संसाधनों के संतुलन में भी उनका अहम योगदान है।
मुख्यमंत्री ने गौवंश के संरक्षण को लेकर अपने विकास कार्यों और राजनीतिक कार्यों को भी साझा किया। उनका कहना है कि जब गौवंश की देखभाल सही तरीके से होगी, तो इससे न केवल सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण होगा, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदा होगा। गायों के गोबर और मूत्र से होने वाले जैविक खाद के उत्पादन से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकेगी और साथ ही पर्यावरण भी साफ-सुथरा रहेगा।
गौवंश के संरक्षण में सरकारी प्रयासों का प्रभाव:
मध्यप्रदेश सरकार के इन प्रयासों से गौवंश का संरक्षण एक नई दिशा में आगे बढ़ेगा। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि गौवंश को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए सभी संसाधनों का उचित उपयोग हो। साथ ही, सरकार ने गौ-शालाओं के लिए सुविधाओं को आधुनिक बनाने का कार्य भी शुरू कर दिया है, जिससे गौवंश को न केवल आहार, बल्कि चिकित्सीय सेवाएं भी मिल सकेंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह गौवंश संरक्षण अभियान मध्यप्रदेश में एक सकारात्मक बदलाव की ओर संकेत कर रहा है, जो न केवल गायों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कृषि, पर्यावरण और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण हो सकता है कि किस तरह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक कदम उठाकर, पर्यावरण और समाज के लिए सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।
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