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यह खबर मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला को जरूर देखना चाहिए क्योंकि मध्यप्रदेश में गरीबों को मुक्त इलाज देने के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. मात्र 5 रुपए नहीं होने पर एक बीमार माँ - बेटी को अस्पताल से बिना इलाज के लौटना पड़ा.
राजेंद्र शुक्ला जी आप स्वास्थ्य मंत्री होने के साथ मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री भी हैं इसलिए गरीब गुरबों से जुड़ी ये खबर आपको समर्पित है. गरीब आदिवासी वर्ग के लोगों को सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज देने का दावा करने वाली आपकी सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. पर्ची बनवाने के बाद 5 रूपए कम होने पर एक मां बेटी को बगैर इलाज अस्पताल से वापस घर लौटना पड़ा. मंत्री जी आप और आपके जिम्मेदार लोग जांच कराने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और स्वास्थ्य सेवाएं भगवान् भरोसे नजर आती हैं. यह मामला देवास जिले के नेमावर आयुष्मान आरोग्य केंद्र का है. जहां एक मां उसका ओर उसकी मासूम बेटी का इलाज करने के लिए 20 रूपए लेकर घर से सरकारी अस्पताल पहुंची थी. जहां मां ने अपनी ओर बेटी के नाम पर इलाज के लिए पर्ची काउंटर पर लाइन मैं लगकर पर्ची बनवाली, जब पैसे देने का नंबर आया तो उनके पास मात्र 15 रूपए ही निकले, ₹5 का सिक्का रास्ते में कहीं गिर गया था. 5 रूपए कम होने की बात पर काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों ने गरीबों का मजाक उड़ाते हुए मां को खरी खोटी बातें सुना कर उसको अपमानित किया. जिसके चलते मां अपनी बेटी के साथ सरकारी अस्पताल से वापस घर लौट गई.
मंत्री जी आपके विभाग के क्या हाल है ये आप अच्छे से जानते हैं इस संबंध में जब अस्पताल के डॉ राहुल से बात की तो उनका कहना था कि पर्ची वाला मामला उनके संज्ञान में भी आया है. मंत्री जी आपके सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति के नाम पर पर्ची का खेल लंबे समय से चल रहा है जिस पर सरकार के नुमाइंदों का भी कोई ध्यान नहीं. जिसके चलते गरीब ,ग्रामीण आदिवासी लोगों को सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए ₹10 देकर इलाज करवाना पड़ रहा है. पैसे के अभाव में कई गरीब लोगों को बगैर इलाज ही अस्पताल से वापस घर भेज दिया जाता है.
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