पैसा कमाना कला है तो खर्च करना भी हुनर है
Earning money is an art and spending

पं. विजयशंकर मेहता 

पैसा कमाना यदि एक कला है, तो उसे खर्च करना भी हुनर है। तीन तरह के लोग देखने में आते हैं- कंजूस, मितव्ययी और दोनों हाथों से लुटाकर खर्च करने वाले खर्चीले। बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरों के मामले में कंजूस हैं, लेकिन अपने मामले में बड़े खर्चीले हो जाते हैं। तो प्रयोग करना चाहिए कि धन को यदि भोग-विलास में खर्च करना हो तो कंजूस हो जाएं।

अपने ऊपर खर्च करना हो तो मितव्ययी हो जाएं। लेकिन अपने परिवार में खर्च करना हो, तो फिर खुले दिल से करिए। पैसे को एक शब्द से जोड़िए और उसका नाम है प्रेम। प्रेम से कमाइए, प्रेम से खर्च करिए। इसका मतलब यह है कि कमाते समय दूसरों का अहित नहीं करेंगे और खर्च करते समय दूसरों का हित देखेंगे।

वैज्ञानिक भी कहते हैं कि प्रेम विज्ञान से परे और ऊपर है। इसलिए पैसे से प्रेम करना और प्रेम को सामने रखकर उसे खर्च करना, यह समझ पैदा करना चाहिए। क्योंकि धन आता जाता है तो जब ये आए तो दीवाने न हो जाएं और जब ये जाए तो बावले न बन जाएं।

 

Dakhal News 28 September 2024

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