
Dakhal News

नवनीत गुर्जर
हरियाणा औ जम्मू-कश्मीर में चुनाव-प्रचार चरम पर है। हरियाणा में भाजपा, कांग्रेस और इनेलो के लोकल नेताओं ने कमान संभाल रखी है। हालाँकि भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेता भी यहाँ जा रहे हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में भाजपा का प्रचार धुँआधार चल रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह वहाँ ताबड़तोड़ रैलियाँ कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर से एक-दो दिन पहले पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ज़रूर कश्मीर गए थे, लेकिन पार्टी की ओर से वहाँ प्रचार अभियान धीमा ही नज़र आ हा है। नेशनल कान्फ्रेंस ने ज़रूर प्रचार में जान झोंक रखी है क्योंकि उसके लिए यह चुनाव जीवन-मरण का सवाल है।
भाजपा और नेशनल कान्फ्रेंस दोनों जानते हैं कि उनके प्रभाव क्षेत्र अलग-अलग है। जम्मू क्षेत्र में भाजपा का ज़बर्दस्त प्रभाव है। जहां तक कश्मीर घाटी का सवाल है, वहाँ नेशनल कान्फ्रेंस का प्रभाव ज़्यादा है। हालांकि, वहाँ पीडीपी और कुछ क्षेत्रीय पार्टियां भी हैं। कुछ निर्दलीय भी हैं, जिनके बारे में कहा जा हा है कि वे भाजपा के प्रॉक्सी उम्मीदवार हैं।
इधर, दिल्ली में आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद आप नेता अरविंद केजरीवाल ने प्रचार शुरू कर दिया है। हालाँकि यहाँ चुनाव महाराष्ट्र औ झारखंड के भी बाद अगले साल फ़रवरी में होना है लेकिन आप पार्टी ने दिल्ली जीतने की मुहिम अभी से शुरू कर दी है।
दिल्ली में रविवार, 22 सितंबर को केजरीवाल जनता के बीच गए और कहा कि दिल्ली चुनाव मेरे लिए एक तरह की अग्निपरीक्षा है। अब फ़ैसला आपको करना है कि मैं ईमानदार हूँ या बेईमान। अगर आप मुझे ईमानदार समझें तो ही वोट देना वरना मत देना।
मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बारे में केजरीवाल का कहना है कि भले ही मुझ पर लगाए गए आरोप झूठे हों, लेकिन लांछन लगने के बाद मैं किसी पद पर नहीं रहना चाहता। अब उनसे ये कौन पूछे कि इतने दिन तक जेल में रहने के बावजूद इस मुख्यमंत्री पद को क्यों ढोते रहे?
अब केजरीवाल कह रहे हैं कि वे जनता की अदालत में न्याय माँगने आए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या चुनावी जीत किसी के ईमानदार होने का प्रमाण हो सकती है? देश में ऐसे कई नेता हैं जो अनेक आरोप लगने का बाद भी चुनाव जीतकर लोकसभा या विधानसभा में पहुँचे हैं।
Dakhal News
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By:
![]() |