‘स्त्री-2’ का संदेश, समाज से ‘सरकटे’ का अंत कर दें...
The message of

कावेरी बामजेई

उस समाज का क्या होता है, जहां प्रेम नहीं होता? तब वह सालों पीछे चला जाता है। महिलाओं से आजादी छीन ली जाती है, लड़कियों को किताबों और फोन से वंचित कर दिया जाता है, और पुरुष ही सड़कों पर बेखौफ घूम सकते हैं। यही ‘स्त्री-2’ का अंतर्निहित संदेश है। यह संदेश देने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था, जब हमारी सड़कें डर से भरी हैं और हमारे कार्यस्थल भी खतरों से अछूते नहीं रह गए हैं।

अमर कौशिक द्वारे रचे गए फिल्मी-संसार में चंदेरी एक ऐसा शहर है, जहां महिलाएं आजाद घूमती हैं और पुरुष ‘भीगी बिल्ली’ की तरह घर पर बैठे हैं। ‘हमें वो वापस चाहिए,’ शहर की महिलाएं एक लेडीज टेलर के बारे में कहती हैं, जिससे उन्हें उम्मीद है कि वह शहर को ‘सरकटे’ से छुटकारा दिला सकता है।

यह सरकटा प्रगतिशील विचारों वाली किसी भी युवा महिला को अपने साथ ले जाता है, चाहे वह ताइक्वांडो सीख रही हो, पढ़ाई में अव्वल हो, प्यार में हो या सोशल मीडिया पर सक्रिय हो। मुसीबत तब चरम पर पहुंच जाती है, जब ‘सरकटा’ एक नर्तकी को अपने अड्डे पर ले जाता है।

लेकिन कस्बे को बचाने के लिए एक गांव की जरूरत होती है, जैसे देश को बचाने के लिए समाज की! इसलिए, हालांकि चंदेरी की महिलाएं लेडीज टेलर विकी से उन्हें बचाने का आग्रह करती हैं, और रहस्यमयी स्त्री उससे प्रेम की अपनी शक्ति को उजागर करने का आग्रह करने के लिए लौट आती है, लेकिन ‘अर्धनारीश्वर’ के रूप में स्त्री और विकी ही ‘सरकटे’ को हराने में सक्षम हैं। यहां ‘अर्धनारीश्वर’ के मिथक का चयन दिलचस्प है। क्योंकि हर पुरुष में स्त्रीत्व का तत्व होता है और इसका विपरीत भी सच है!

कहानी का लब्बोलुआब यह है कि व्यवस्था बहाल करने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। अन्यथा महिलाओं को चौके-चूल्हे तक ही सीमित कर दिया जाएगा। एक ऐसे समय में- जब हमारी दुनिया में उथल-पुथल है- ‘स्त्री-2’ हमें उम्मीद देती है कि सच्चाई, सरलता और सच्चा प्यार हमें विनाश से बचा सकते हैं।

जब स्त्री विकी से कहती है कि वह उसके साथ नहीं रह सकती क्योंकि वह सिर्फ एक छाया है, तो वह उससे कहता है कि वह उसके लिए ‘एडजस्ट’ करने को तैयार है। ‘स्त्री-2’ की दुनिया में दीवारें तक कहती हैं कि- ‘हे स्त्री रक्षा करना।’ यहां स्त्री शक्ति का प्रतीक है।

‘अर्धनारीश्वर’ के मिले-जुले प्रयासों के बावजूद ‘सरकटे’ को हराने के लिए अंततः स्त्री की मां को न्याय की स्थापना करनी पड़ती है। एक स्थिर दुनिया में, मनुष्य और जानवर समान हैं, और संतुलन के लिए दोनों की समान रूप से जरूरत है।

तब पुरुष महिलाओं से प्रेम कर सकते हैं और महिलाएं आजादी का आनंद ले सकती हैं। जैसा कि फिल्म में एक गाना कहता भी है : ‘मेरे महबूब समझिए जरा मौके की नजाकत/के खरीदी नहीं जा सकती हसीनों की इजाजत।’

इससे पूर्व में आई ‘स्त्री’ की तुलना में ‘स्त्री-2’ अधिक विकसित कहानी है, जहां चंदेरी की सुरक्षा के लिए एक महिला की जरूरत है, जहां महिलाएं जो चाहें कर सकती हैं और जहां पुरुषों का जीवन संकट में है। जहां बदलाव का बोझ समान रूप से साझा किया जाता है। बदलाव लाना है तो पुरुषों को महिलाओं के साथ मिलकर काम करना होगा।

हॉरर फिल्मों ने हमेशा समाज की चिंताओं को प्रदर्शित किया है, चाहे वह ‘किंग कांग’ द्वारा न्यूयॉर्क को ‘ग्रेट डिप्रेशन’ के रूपक के रूप में रौंदना हो या हाल में अमेरिका में नस्लवाद पर टिप्पणी करने वाली ‘गेट आउट’ हो।

और कभी-कभी हमें रास्ता दिखाने के लिए एक हॉरर-कॉमेडी की भी जरूरत होती है। एक ऐसे देश में जहां हर दिन 86 दुष्कर्म होते हैं, जहां महिलाओं के साथ कार्यस्थलों, घरों और यहां तक कि ऑनलाइन भी दुर्व्यवहार किया जाता है, वहां बदलाव लाने के लिए सभी की साझा जरूरत होगी। समाज में मौजूद ‘सरकटे’ को हटाएं!

हॉरर फिल्मों ने हमेशा ही अपने समय और समाज की चिंताओं को प्रदर्शित किया है, चाहे वह ‘किंग कांग’ हो या ‘गेट आउट’ हो। और कभी-कभी हमें रास्ता दिखाने के लिए ‘स्त्री-2’ जैसी एक हॉरर-कॉमेडी की भी जरूरत होती है।

Dakhal News 27 August 2024

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