क्या आप भाग्य की सच्ची परिभाषा जानते हैं?
Do you know the true definition of luck

एन. रघुरामन 

भाग्य को अलग-अलग पेशों में अलग-अलग तरीके से परिभाषित कर सकते हैं। जैसे एक पेशेवर क्रिकेटर के लिए, बल्ले का ठीक उसी जगह प्रहार करना, जहां गेंद आती है, भाग्य नहीं माना जाएगा, लेकिन बल्लेबाज जहां प्रहार करता है, ठीक वहीं गेंद का आना भाग्य कहलाएगा।

वहीं, आम लोगों के लिए भाग्य की परिभाषा पूरी तरह अलग हो सकती है। और झारखंड के रहने वाले 31 वर्षीय संजय यादव को यह बात सेकंड के दसवें हिस्से में समझ आ गई! आज वह सोशल मीडिया पर सनसनी हैं।

आपको ताज्जुब हो रहा होगा कि कोई एक सेकंड से भी कम में यह कैसे सीख सकता है? यहां इसका जवाब है। संजय मुंबई में कैब ड्राइवर हैं और सुदूर उपनगरीय इलाके में चार अन्य दोस्तों के साथ 15x10 वर्ग फुट की चॉल में रहते हैं।

संजय हमेशा से चाहते थे कि ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाएं और अपनी पत्नी और दो बच्चों को अपने साथ मुंबई में रखें। पिछले छह साल से वह बमुश्किल ही दो परिवारों की मूलभूत जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं- एक झारखंड में तो दूसरा मुंबई में खुद के खर्चे।

16 अगस्त की दोपहर संजय 3-4 राइड पूरी कर चुके थे और एक कप चाय पीने के लिए बैठे ही थे कि उनके रूममेट, जो खुद भी कैब ड्राइवर हैं, उन्होंने एक महिला यात्री को पिकअप करने के लिए कहा, क्योंकि उसी पिकअप समय पर उनके पास भी एक राइड थी। संजय ने राइड ले ली।

57 वर्षीय वह महिला मुंबई में नए बने अटल सेतु जाना चाहती थीं कि ताकि भगवान की कुछ तस्वीरें विसर्जित कर सकें। जब संजय ने कहा कि अटल सेतु पर वाहन रोकने की इजाजत नहीं है, तो महिला ने जोर देकर कहा कि उसे पांच मिनट से ज्यादा नहीं लगेगा।

संजय उसे अटल सेतु ले गए और उस दौरान हल्की-फुल्की बातचीत हुए, जिसमें सबकुछ सामान्य लगा। शाम को 7 बजे वे ब्रिज पर पहुंच गए, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसे एक झटका लगने वाला है। उस महिला ने गाड़ी ऐसे कोण पर खड़ी करवाई ताकि किसी को दिखाई न दे कि वह क्या कर रही है।

संजय टोल प्लाजा की निकासी के समीप रुके और उस महिला को जल्दी करने के लिए कहा। उसे लगा कि महिला के बैग में देवताओं की तस्वीरें व मूर्तियां हैं, जिन्हें वह पुल से नीचे विसर्जित कर देंगी, लेकिन जब वह महिला क्रैश बैरियर के ऊपर चढ़कर तस्वीरें एक के बाद एक नीचे फेंकने लगी, तो वह चौकन्ना हो गए।

संजय घबराया क्योंकि नियम तोड़ने के लिए वो पकड़ा जा सकता था, इसलिए वह कार से बाहर निकला ताकि पूछ सके कि वह क्या कर रही हैं। संजय का ध्यान भटकाने के लिए महिला ने तस्वीरों पर छिड़कने के लिए पानी मांगा।चूंकि यात्री तरफ रखी पानी की बोतल खाली थी। जैसे ही वो ड्राइवर तरफ आ रहा था, तभी उसे सायरन चमकाती, तेजी से उसकी ओर आती ट्रैफिक पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी दिखी। 7.05 और 7.06 के बीच अंतिम सेकंड में उस महिला ने बैरियर के ऊपर से चढ़कर समुंदर की तरफ नीचे पैर लटकाए और लगभग कूदी।

और संजय ने महज एक सेकंड से भी कम समय में उस महिला को बालों से पकड़ लिया। इस दौरान उस नुकीले बैरियर से उसका हाथ कट रहा था लेकिन उसने अगले 16 सेकंड तक महिला को बालों के सहारे थामे रखा, जब तक कि ट्रेफिक पुलिस वाले नहीं आ गए और रेलिंग पर चढ़कर महिला को बाईं कलाई से नहीं पकड़ लिया और तब संजय के चोटिल हाथ को थोड़ी राहत मिली और महिला को सुरक्षित बचाया जा सका।

पुलिस स्टेशन पर परिवार वाले घंटों तक संजय का धन्यवाद में हाथ थामे रहे और उसे फरिश्ता कहते रहे, वहीं पुलिस वालों ने भी उसे धन्यवाद कहने के बाद अगली बार से ब्रिज पर नहीं रुकने की चेतावनी दी। लेकिन अगले चंद घंटों में संजय को सोशल मीडिया सनसनी बनने से कोई नहीं रोक सका। पिछले एक हफ्ते में कई यात्रियों ने उसे पहचान लिया और उदारमन से उसकी आर्थिक मदद भी की।

फंडा यह है कि भाग्य दो चीजों का मीटिंग पॉइंट है- दिमाग की सतर्कता और अवसरों का आना।

 

 

Dakhal News 25 August 2024

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