विश्लेषण: केंद्रीय बजट 2024
Analysis: Union Budget

दुर्भाग्यवश चुनिंदा राज्यों की तरह मध्यप्रदेश के लिए कोई विशेष बजट प्रावधान नहीं किए गये हैं न ही अमरावती की तरह राजधानी भोपाल पर कोई फ़ोकस हैं। सरकार को चाहिए कि पीछे रह गये राज्यों और पिछड़ गयी राजधानियों का पारदर्शी ऑडिट करे और उनके विकास के लिए अनुपातिक बजट प्रावधान हों। 

संपूर्ण राजनीतिक समर्थन देने वाले गुजरात जैसे राज्यों को सदैव प्राथमिकता मिलती रही है वहीं मध्यप्रदेश के साथ सदा पक्षपात होता रहा है। राज्य के नागरिक के रूप में यह निराशाजनक है।

केंद्रीय बजट 2024 में जीडीपी वृद्धि 6.5-7% अनुमानित है, पूंजीगत व्यय ₹11.11 लाख करोड़ रखा गया है, और कर सुधारों के साथ सामाजिक कल्याण और शहरी विकास पर जोर दिया गया है। महिलाओं, युवाओं, और रियल एस्टेट के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। हालाँकि चुनावों के बाद के इस बजट में महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता से राहत मिलती नहीं दिखती। 

इस बजट का आलोचनात्मक विश्लेषण करने पर कुछ महत्वपूर्ण तथ्यात्मक मत सामने आते हैं : 

1.  वित्तीय अनुशासन और घाटा :

   - वित्तीय घाटे का लक्ष्य 5.1% जीडीपी रखा गया है, जो अभी भी ऊँचा है और इसे कम करने के लिए पर्याप्त ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जबकि सरकार ने FY26 तक इसे 4.5% से नीचे लाने का लक्ष्य रखा है, कई विशेषज्ञ इसे पर्याप्त नहीं मानते।

   - बढ़ते सार्वजनिक कर्ज और उच्च बाजार उधारी पर भी चिंता व्यक्त की गई है, जो कि ₹14.13 लाख करोड़ पर अपरिवर्तित रखा गया है।

2.  कर सुधारों की अपर्याप्तता :

   - प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं गया है, जिससे करदाताओं को कोई राहत नहीं मिली है। कर संरचना में स्थिरता को सकारात्मक माना जा सकता है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि करदाताओं की वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है 

- अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर 20% और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 12.5% कर निर्धारित करना निवेशकों के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर छोटे निवेशकों के लिए ।

3.  महिलाओं और युवाओं के लिए योजनाओं का प्रभाव :

   - 'लखपति दीदी' योजना और मुद्रा ऋण सीमा बढ़ाने के बावजूद, इन योजनाओं की कार्यान्वयन की क्षमता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इससे पहले भी कई योजनाएँ ठीक से लागू नहीं हो सकी हैं।

4.  बुनियादी ढांचे और शहरी विकास में चुनौतियाँ :

   - बुनियादी ढांचे के लिए ₹11.1 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है, लेकिन इस क्षेत्र में पिछली योजनाओं की धीमी प्रगति को देखते हुए,  इसपर शंका जताई जा रही है।

   - शहरी विकास के लिए की गई घोषणाओं में स्पष्टता की कमी है। विशेषकर, PM आवास योजना-शहरी 2.0 के तहत 1 करोड़ घरों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ठोस योजनाओं का अभाव है।

5.  सामाजिक कल्याण योजनाओं की प्रभावशीलता :

   - पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार और आयुष्मान भारत योजना का विस्तार सकारात्मक कदम हैं, लेकिन इन योजनाओं की के वास्तविक लाभार्थिता पर भी कई सवाल हैं।

 निष्कर्ष : बजट 2024 में सरकार ने आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण पर जोर दिया है, लेकिन कई क्षेत्रों में ठोस और प्रभावी कदमों की कमी है। वित्तीय घाटे को कम करने और कर सुधारों में अधिक पारदर्शिता और प्रभावशीलता की आवश्यकता है। योजनाओं के कार्यान्वयन और  पारदर्शिता पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि घोषित लक्ष्य वास्तव में प्राप्त किए जा सकें।

मनोज मीक

लेखक शहरी विकास, डेटा साइंस और एआई के जानकार हैं

Dakhal News 24 July 2024

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