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इस कारण समाज में होते है भेदभाव
पनिका जाति मध्यप्रदेश के 12 जिलों में अनुसूचित जनजाति में आती है और बाकि 40 जिलों में ओबीसी में आती है। अब 12 जिलों में अनुसूचित जनजाति में आने के कारण वहां के लोग काफी विकसित है। वहीँ दूसरी और इस जनजाति के लोग 40 जिलों में अति पिछड़े है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार क्षेत्रीय बंधन को समाप्त नहीं कर रही है। पनिका समाज के दो वर्गों में बटे होने के कारण भेदभाव उत्पन्न हो गया है। समाज के अंदर शादी,विवाह,मृत्यु संस्कार में भेदभाव है। 12 जिलों में पनिका जाति को अनुसूचित जनजाति का लाभ मिलता है। जिससे वहां के लोगों का जीवन स्तर अच्छा है। तो वही 40 जिलों में कोई लाभ न मिलने से अति पिछड़ापन है। उक्त 40 जिलों के संबंध में पनिका समाज के सदस्यों ने प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से ज्ञापन देकर मध्यप्रदेश शासन एवं भारत सरकार से क्षेत्रीय बंधन को समाप्त करने की मांग की लेकिन आज तक सरकार ने इस विषय में कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 2009 में यह आदेश दिया था। सम्पूर्ण पनिका जाति को प्रदेश के अंदर अनुसूचित जनजाति की कैटेगरी में डाला जाए। लेकिन अभी तक सरकार ने क्षेत्रीय बंधन को समाप्त नहीं किया है।
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