न्यू इंडिया में रक्षा उत्पाद का नया अध्याय
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डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

 

मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में नया अध्याय लिख रही है। इसमें भारत को महाशक्ति बनाने का बुलंद मंसूबा है। आत्मनिर्भर अभियान की प्रभावी प्रगति है। भारत रक्षा उत्पाद का निर्यातक बन चुका है। दुनिया में देश का महत्व बढ़ा है। रूस- यूक्रेन युद्ध में दोनों पक्ष भारत से सहयोग की अपेक्षा कर रहे है। रूस और यूक्रेन के शासक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कई बार बात कर चुके है। संकटकाल में भी रूस के विदेशमंत्री नई दिल्ली पहुंचते है। भारत आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करता है। चीन को डोकलाम से अपने कदम पीछे खींचने पड़ते हैं। यह न्यू इंडिया का प्रभाव है। इसमें विश्व में शांति व सौहार्द के प्रति भारत की परम्परागत नीति है, लेकिन रक्षा तैयारियों पर किसी प्रकार की लापरवाही नहीं है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एक दम नहीं लाई जा सकती। भारत ने स्वदेशी रक्षा उत्पाद के प्रयास शुरू किए। इसके साथ ही लड़ाकू विमान व अन्य रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबित समझौतों पर अमल किया। राफेल विमान को लेने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह स्वयं फ्रांस गए।

मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का शुभारंभ किया था। इसकी धमक दुनिया में दिखाई देने लगी है। रक्षा क्षेत्र में भी इस अभियान ने दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है। भारत अभी तक सामरिक हथियारों का सबसे बड़ा आयातक माना जाता था। अब 40 से अधिक देशों को भारत सामरिक उत्पाद का निर्यात कर रहा है। अन्य क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत अनेक योजनाएं संचालित हो रही हैं। उत्तर प्रदेश में निर्माणाधीन डिफेंस इंडस्ट्रियल काॅरिडोर से देश को रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट बताती हैं कि बीते वर्ष में वर्ल्ड मिलिट्री स्पेंडिंग लगभग दो ट्रिलियन यूएस डॉलर पर पहुंच चुकी थी। डिफेंस रिलेटेड डोमेस्टिक डिमांड में भी बढ़ोतरी होगी। भारत सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बन रहा है। देश का विकास पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बीच समन्वय से हो सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 20 साल पहले डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर के 100 प्रतिशत प्रतिभागिता की व्यवस्था की थी। कास्टिंग और फोर्जिंग के क्षेत्र में जिन भारतीय कंपनियों ने दुनिया में बड़ा नाम कमाया है पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड उनमें से एक है। लखनऊ में जिस प्लांट का उद्घाटन हुआ है वह एयरोस्पेस और एयरोस्पेस में टाइटेनियम और निकिल के आलाय बनाने वाली पहली मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है।

भारत के अलावा अमेरिका, फिनलैंड,चीन,नॉर्वे व स्वीडन की बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियों को पीटीसी द्वारा अपने उत्पाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं। रक्षा विनिर्माण सुविधा विमान के इंजन,हेलीकॉप्टर इंजन,विमानों के लिए संरचनात्मक भागों,ड्रोन और यूएवी,पनडुब्बियों, अल्ट्रा लाइट आर्टिलरी गन, स्पेस लॉन्च व्हीकल और स्ट्रैटेजी सिस्टम आदि का निर्माण करेगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कई भूमिकाओं में काम आने वाले दस टन के भारतीय हेलीकॉप्टर के डिजाइन और विकास में तेजी लाने का आह्वान किया। हेलीकॉप्टर प्रौद्योगिकी में प्रगति हमारे रक्षा क्षेत्र के लिए प्रभावी होगी। भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान मिलेगी। अब तक निर्मित लगभग 700 चेतकों ने पूरे समर्पण के साथ युद्ध और शांति के समय में राष्ट्र की सेवा की है। भारत ने स्वदेश में डिजाइन और विकसित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव और इसके वेरिएंट का निर्माण किया। पांच टन की श्रेणी में हेलीकॉप्टरों के डिजाइन, विकास और संचालन में अपनी ताकत दिखाई है। उन्होंने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को युद्ध अभियानों के लिए हल्के हेलीकॉप्टरों में देश की क्षमता का यह एक उदाहरण है। वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए रक्षा उत्पादन और तैयारियों में आत्म निर्भरता हासिल करने का सरकार ने संकल्प लिया है। गत वर्ष डीआरडीओ ने उद्योग के साथ 225 लाइसेंस समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिगत यह कार्य अपरिहार्य थे। यूपीए सरकार ने इस जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया था। नरेन्द्र मोदी अमेठी में भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम इंडो रशियन राइफल्स प्रा.लि. को राष्ट्र को समर्पित कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की है। अब भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर रहा है। रक्षा मंत्रालय सैकड़ों उत्पाद की सूची जारी कर चुका है। इन सभी का उत्पादन अब भारत में होगा। इन्हें आयात नहीं किया जाएगा। फाइटर प्लेन,हेलीकॉप्टर,टैंक और पनडुब्बियों सहित के निर्माण के अवसर भी हमने मेगा डिफेंस प्रोग्राम तहत शुरू किए हैं। डीआरडीओ के माध्यम से निशुल्क ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी यूपी और तमिलनाडु के बीच शुरू की गई है। ट्रांसपोर्ट प्लेन सी का बाइस हजार करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट किया गया है। इनमें अधिकांश प्लेन हमारी इंडियन इंडस्ट्री के साथ मिलकर बनाए जाएंगे। विगत सात वर्षों में डिफेंस एक्सपोर्ट का 38 हजारर करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है। 10 हजार एमएसएमई का डिफेंस सेक्टर से जुड़ना प्रगति का उदाहरण है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भारत का रक्षा निर्यात पैंतीस प्रतिशत बढ़ा है। भारत 75 देशों को रक्षा उत्पाद का निर्यात कर रहा है।

 

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Dakhal News 6 April 2022

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