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भोपाल। पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने बताया कि प्राकृतिक जल स्त्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिये उनकी सतत निगरानी की जा रही है। पर्यावरण विभाग द्वारा प्रदेश की 85 नदियों एवं उनकी सहायक नदियों की जल गुणवत्ता का मापन कार्य किया जा रहा है। पिछले डेढ़ वर्ष में प्रमुख नदियों, उनकी सहायक नदियों, झील, बांध, तालाब, भू-जल स्त्रोत और नालों से 12 हजार 357 जल नमूने एकत्रित कर जल गुणवत्ता का विश्लेषण किया गया।
मंत्री डंग ने शुक्रवार को बताया कि प्रदेश की नदियों के जल गुणवत्ता का आंकलन और वर्गीकरण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आधारित मानक पर किया जाता है। गुण मापन में आने वाली प्रदेश की 85 नदियों में - अजनाल, अनास, अंगरेड, असन, बेस, बंजर, बावनगंगा, बेबस, बेतवा, बिछिया, बिहर, बोरार, बेसली, चंबल, चामला, चिलार, चकरार, चोरल, छोटा तवा, छोटी काली सिंध, चौपन, देनवा, देब, धसान, गंभीर, गोई, गोपद, गौर, गुनौर, हथनी, हिरन, जामर, जमुनी, जोहिला, कचान, काली सिंध, कन्हान, करियारी, कटनी, केन, केवई, खान, खुज, क्षिप्रा, कुंदा, कुरैल, कलियासोत, मान, माचना, महानदी, महेश्वरी, माही, मालेनी, मंदाकिनी, मैयर, मुरना, नर्मदा, नेवज, नेवार, परियट, पार्वती, पेंच, क्वारी, रिहंद, शक्कर, शंख, सरस्वती, सटक, सीप, सीवन, शेर, शिवना, सिलगी, सिमरार, सिंध, सोनार, सोन, सुखद, सतना, सर्फा, तामिया, ताप्ती, टोंस, उमरार और वैनगंगा शामिल हैं।
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