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सुरेश हिन्दुस्थानी
क्रिकेटर से राजनीति में पदार्पण करने वाले इमरान खान अभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे, इसकी उम्मीद बहुत कम है। इसका कारण यही है कि वे ऐसे राजनीतिक चक्रव्यूह में घिरते दिखाई दे रहे हैं, जहां से निकलने का कोई मार्ग दिखाई नहीं दे रहा है। यह कहा जाए कि उनके निकलने के सारे मार्ग बंद हो चुके हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के कुछ सांसदों के अलावा दो बड़े राजनीतिक दल इमरान खान के विरोध में पहले से ज्यादा मुखर हैं। इस जबरदस्त विरोध के चलते अब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी खतरे में आ गई है। संभावना इस बात की भी बनने लगी है कि इमरान खान या तो स्वयं ही कुर्सी से उतर जाएंगे या फिर जबरदस्ती उतार दिए जाएंगे। ऐसी में इमरान खान की स्थिति एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली होती जा रही है।
पाकिस्तान के बारे में यह स्पष्ट मान्यता है कि वहां सरकार के अलावा सेना और आईएसआई शक्तिशाली संस्थान हैं। इसलिए किसी भी सरकार द्वारा इन दोनों की कतई उपेक्षा नहीं की जा सकती। समझा जाता है कि इमरान खान सेना और आईएसआई के समर्थन के चलते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन सके थे। अब इमरान खान का इन दोनों से छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से यही कहा जा रहा है कि अब पाकिस्तान की राजनीतिक स्थितियां इमरान खान के अनुकूल नहीं हैं। वैसे भी यह पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।
इमरान खान के पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को पनामा प्रकरण में दोषी करार देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अयोग्य घोषित कर दिया था और इसके बाद नवाज शरीफ को इस्तीफा देना पड़ा था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने और कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पदच्युत होने का मामला केवल नवाज शरीफ तक सीमित नहीं है। इसके पूर्व भी पाकिस्तान ने ऐसी ही स्थितियों का सामना किया है। लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे। मुस्लिम लीग के लियाकत अली खान की अक्टूबर 1951 में गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। उसके बाद ख्वाजा नाजीमुद्दीन ने सत्ता संभाली। बमुश्किल दो साल ही इस कुर्सी पर थे, तब तक गवर्नर जनरल ने उन्हें पद से हटा दिया। उनके बाद मोहम्मद अली बोगला ने सत्ता का संचालन किया, परंतु वह भी कुछ ही महीनों के ही मेहमान रहे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के समक्ष एक और बड़ी परेशानी यह भी है कि वर्तमान में पाकिस्तान बहुत बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। जिसके लिए पाकिस्तान की जनता सीधे तौर पर प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार मान रही है। कोरोना संक्रमण के समय उत्पन्न हुई स्थितियों के चलते जिस प्रकार से महंगाई बढ़ी थी, उसके कारण सरकार पर संकट के बादल पहले से ही मंडरा रहे थे, लेकिन अब यह बादल और ज्यादा घने होते जा रहे हैं। जिसमें इमरान खान पूरी तरह से विलुप्त होते दिखाई दे रहे हैं।
वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता के दौर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के समक्ष उत्पन्न हुई स्थितियां उनके राजनीतिक जीवन की सबसे कठिन परीक्षा मानी जा रही है। इसमें सबसे प्रमुख बात यही है कि इमरान खान और सेना प्रमुख के बीच पैदा हुई खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है, जिसके कारण यह भी माना जा रहा है कि इमरान खान सेना प्रमुख वाजवा को पद से अलग करने का मन बना चुके हैं।
पाकिस्तान का इतिहास यह बताने के लिए काफी है कि जिस सरकार ने सेना के विरोध में कदम उठाया है, उनमें से कई सरकारों के मुखिया को अपना पद छोडऩा पड़ा है। यहां तक कि पाकिस्तान के लिए सरकार का तख्ता पलट होना भी कोई नई बात नहीं है। वैसे भी यह भी खबर आ रही है कि सेना प्रमुख और आईएसआई ने इमरान खान को पद से अलग होने की स्पष्ट चेतावनी दे दी है। इसके अलावा पाकिस्तान के विपक्षी दलों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया है। जिसके समर्थन में इमरान की पार्टी के कुछ सांसद भी हैं। इसलिए यही माना जा रहा है कि इस बार इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से हाथ धोना ही पड़ेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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