हमारी संस्कृति ही हमारी विरासत है, इसलिए ऐसे आयोजन बहुत जरूरी: कमल पटेल
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हरदा/ भोपाल। हरदा जिले के चारुवा हरिपुरा स्थित चमत्कारिक गुप्तेश्वर महादेव मंदिर परिसर से पूरे 1 माह चलने वाले मेले का शुभारंभ महाशिवरात्रि पर्व से शुरू हो गया है। किसान नेता एवं मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने महाशिवरात्रि पर्व पर मंगलवार को चमत्कारिक गुप्तेश्वर महादेव का विधिवत पूजा-अर्चना और बाबा का अभिषेक कर मेले का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री पटेल ने मेले में उपस्थित धार्मिक श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि विगत 16 वर्षों से चमत्कारिक गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के परिसर में मेले का आयोजन किया जा रहा है। पूरे 1 माह चलने वाले इस मेले में भारतीय संस्कृति और हमारी परंपराओं का दर्शन होता है। सभ्यता और संस्कृति बनी रहे इसके लिए ऐसे आयोजन बहुत जरूरी है। हमारी संस्कृति ही हमारी विरासत है।

आज भी गुप्त है गुप्तेश्वर मंदिर का रहस्य

 

हरदा से खिरकिया नगर से करीब 8 किमी दूर स्थित प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर जिला व प्रदेश में प्रसिद्धी प्राप्त हैं। जानकारी के अनुसार स्वर्णकार समाज के भक्त को भगवान भोले ने साक्षात दर्शन देकर टीले के नीचे मंदिर दबे होने की बात कही। इसके बाद खुदाई करने पर उत्पन्न मंदिर से यहां महाशिवरात्रि में आस्था देखते ही बनती हैं। खुदाई में मंदिर निकलने की यह चमत्कार लगभग 250 वर्ष पहले का हैं।

 

इतिहास में चंपावती नगरी तथा वर्तमान में अब चारूवा से मात्र डेढ किमी दूर हरिपुरा में कल- कल बहती कालीमाचक नदी के बाणगंगा तट पर स्थित स्वयं - भू भगवान गुप्तेश्वर का टीले पर शिवलिंग हजारों लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है। बदलते परिवेश में अब यहां आस्था के साथ पर्यटन स्थल भी बनता जा रहा है, जो तहसील की शान बन चुका है। वैसे शिवलिंग की स्थापना के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है, मगर मंदिर वर्षों पुराना होना इतिहास के कागजों में दर्ज है। कथाओं में ही बताया गया कि गुप्तेश्वर मंदिर गुप्त स्थान से निकलने के कारण मंदिर का नामकरण गुप्तेश्वर किया गया है।

 

भगवान शंकर ने दिया था स्वप्न

 

चारूवा के गुप्तेश्वर मंदिर जहां वर्षों पुराना है, वहीं एक कथा यह भी प्रचलित है, कि मंदिर के विशेष में स्वयं भोलेनाथ ने एक परिवार के मुखिया को स्वप्न में आकर कहा था, कि चारूवा में मंदिर है, उसे बाहर निकालों। बताया जाता है कि भगवान भोलेनाथ ने दर्शन दिए और टीले नीचे शिवलिंग होने की बात कही। प्रात: जब यह बात गांव में फैली और शिवलिंग ही नहीं बल्कि समूचा मंदिर ही प्रकट हुआ। इसके बाद से अन्न जल के लिए त्राही- त्राही यह क्षेत्र खुशहाल होने लगा। मंदिर के बाजू में कल - कल बहती नदी ने यहां के सौंदर्य को बढ़ाया है।

 

गुफा का रहस्य बरकरार

 

मंदिर के पीछे एक गुफा भी है, जिसका रहस्य बरकरार है। इसे पार करने की हिम्मत आज तक कोई नहीं उठा पाया है। इसके बारे में किदवंतिया रही है, कोई कहता है यह मकड़ाई रियासत तक तो कोई सांगवा किले तक, कुछ लोग चारूवा स्थित गढी तक जाना बताते है, लेकिन वास्तविक स्थिति कोई नहीं बता पा रहा हैं।

Dakhal News 1 March 2022

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