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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि सामाजिक जागरूकता के प्रयास कुपोषण से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सभी से कुपोषण से लड़ाई में शामिल होने का आग्रह किया। मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं। इससे चेतना की अनुभूति हुई है। उन्होंने कहा कि इतने विशाल और विविधतापूर्ण देश में जब तिरंगा फहराने की बात आई, तो हर कोई एक ही भावना में बहता दिखा।
प्रधानमंत्री ने पर्वतों की चोटियों, राष्ट्र की सीमाओं और समुद्र के मध्य तिरंगा फहराये जाने पर सैनिकों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता अभियान और कोविड टीकाकरण अभियान में भी देश की यही भावना देखने को मिली थी। अमृत महोत्सव में भी फिर से देशभक्ति का यही जज्बा देखने को मिल रहा है।
मोदी ने कहा कि बच्चों और युवाओं सहित देशवासियों से मिले प्रत्येक संदेश, पत्र और कार्ड में अंकित राष्ट्रीय ध्वज से प्रधानमंत्री कार्यालय तिरंगामय हो गया है।
प्रधानमंत्री ने हर घर तिरंगा अभियान के लिए लोगों के नये-नये विचारों की सराहना की। इस संबंध में उन्होंने कृशनील अनिल का उदाहरण दिया, जो पज़ल आर्टिस्ट हैं। अनिल ने रिकार्ड समय में खूबसूरत तिरंगा मॉजेक कलाकृति तैयार की है। कर्नाटक के कोलार में लोगों ने 630 फीट लंबा और 205 फीट चौड़ा तिरंगा फहराया। असम में सरकारी कर्मियों ने दिघालीपुखरी युद्ध स्मारक में अपने हाथों का ही 20 फीट का तिरंगा बनाया। इंदौर में लोगों ने मानव श्रृंखला के जरिये भारत का मानचित्र बनाया। श्री मोदी ने चंडीगढ़ में विशाल मानव तिरंगा बनाने पर युवाओं की सराहना की। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि ये दोनों ही प्रयास गिनीज रिकार्ड बुक में दर्ज हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में भी अमृत महोत्सव के रंग दिखे। उन्होंने कहा कि बोत्स्वाना में स्थानीय गायकों ने भारत की आजादी के 75 वर्ष का उत्सव मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाये। ये गीत हिंदी, पंजाबी, गुजराती, बांग्ला, असमिया, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और संस्कृत जैसी भाषाओं में हैं। नामीबिया में भारत के साथ सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंधों पर विशेष डाक टिकट जारी किया गया।
प्रधानमंत्री ने दूरदर्शन पर प्रसारित स्वराज धारावाहिक का उदाहरण दिया। यह प्रत्येक रविवार को रात 9 बजे प्रसारित होता है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से 75 सप्ताह का यह धारावाहिक देखने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों की दूरदृष्टि और एकात्मचिंतन आज भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस संबंध में उन्होंने ऋग्वेद की सूक्ति का उदाहरण दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में हजारों वर्ष पहले से ही जल और जल संरक्षण का महत्व समझाया गया है। यह ज्ञान आज के संदर्भ में भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चार महीने पहले मन की बात में की गई अमृत सरोवर की अपील प्रशासन सहित सभी के प्रयासों से अब जन आंदोलन बन गई है। श्री मोदी ने कहा कि जब देश के लिए कुछ करने की भावना हो, अपने कर्तव्यों का अहसास हो, आने वाली पीढि़यों की चिंता हो, तो सामर्थ्य और संकल्प एकजुट हो जाते हैं। उन्होंने तेलंगाना के वारंगल में नई ग्राम पंचायत मंग्त्या-वाल्या थांडा के गठन का उदाहरण दिया, जहां वर्षा जल के संचय के लिए अमृत सरोवर विकसित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के मंडला में मोचा ग्राम पंचायत में बने अमृत सरोवर की भी चर्चा की। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के पास बने इस सरोवर से इलाके की सुंदरता भी बढ़ी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के ललितपुर में शहीद भगत सिंह अमृत सरोवर का भी उदाहरण दिया। निवारी ग्राम पंचायत में चार एकड़ का यह सरोवर लोगों को आकर्षित कर रहा है। इस सरोवर के पास बने 35 फीट ऊंचे तिरंगे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत सरोवर अभियान वर्तमान अनेक समस्याओं का समाधान तो करता ही है, यह आने वाली पीढि़यों के लिए भी उतना ही आवश्यक है। इस अभियान के तहत पुराने जलाशयों का कायाकल्प किया जा रहा है और नये सरोवर बनाये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने असम के बोंगाई गांव में चलाई जा रही चिलचस्प योजना संपूर्णा का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना कुपोषण से लड़ाई का अनूठा तरीका है। इसके तहत आंगनवाडी केंद्र के स्वस्थ बच्चे की मां हर सप्ताह कुपोषित बच्चे की मां से मिलती है और पोषण से संबंधित सभी जानकारियों पर चर्चा करती है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के दतिया जिले में गीत-संगीत और भजन के उपयोग से मेरा बच्चा अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत भजन कीर्तन, मटका कार्यक्रम और प्रत्येक शनिवार को बाल भोज का आयोजन होता है। इससे आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के साथ कुपोषण भी कम हो रहा है।
झारखंड में कुपोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए गिरिडीह में सांप-सीढ़ी का गेम तैयार किया गया है। इससे बच्चे खेल-खेल में अच्छी आदतें सीखते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सितंबर का महीना त्योहारों के साथ-साथ पोषण से जुड़े अभियान के लिए समर्पित है। प्रत्येक वर्ष एक से 30 सितंबर के बीच पोषण माह बनाया जाता है। श्री मोदी ने कहा कि कुपोषण से लड़ाई के लिए देशभर में अनेक रचनात्मक और विविधतापूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। तकनीक का बेहतर उपयोग और जनभागीदारी पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
प्रधानमंत्री ने कुपोषण दूर करने की लड़ाई में हर किसी से शामिल होने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा का प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव का 70 से अधिक देशों ने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आज दुनियाभर में मोटे अनाज बाजरे की लोकप्रियता बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब विदेशी मेहमान और राष्ट्राध्यक्ष भारत आते हैं, तो उन्हें बाजरे जैसे मोटे अनाज से बने व्यंजन परोसे जाते हैं। मेहमानों को ऐसे व्यंजन बहुत पसंद आते हैं और वे मोटे अनाज के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र करने के प्रयास भी करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बाजरा और अन्य मोटे अनाज प्राचीन काल से ही खेती-बाड़ी, संस्कृति और सभ्यता का अंग रहे हैं। उन्होंने कहा कि वेदों में भी बाजरे का उल्लेख मिलता है। पुराणनुरू और तोल्काप्पियम में भी बाजरे का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि बाजरा देशभर में होता है। श्री मोदी ने कहा ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टु बाजरे के ही रूप हैं। भारत विश्व में बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसलिए इस पहल को सफल बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी भी भारतवासियों की ही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बाजरे को लोकप्रिय बनाने के लिए हमें जागरूकता बढ़ानी चाहिए और जन आंदोलन चलाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बाजरा छोटे किसानों के लिए भी लाभदायक है क्योंकि इसकी फसल बहुत कम समय में तैयार हो जाती है और इसे अधिक पानी की आवश्यकता भी नहीं होती। उन्होंने कहा कि बाजरे के भूसे को बेहतरीन चारा माना जाता है। श्री मोदी ने कहा कि बाजरे में भरपूर प्रोटीन, रेशे और खनिज पदार्थ होते हैं। यह मोटापा कम करने के साथ ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों का खतरा भी कम करता है। यह पेट और लीवर की बीमारियों से बचाने में भी उपयोगी है। बाजरा कुपोषण से लड़ने में लाभदायक है, क्योंकि यह प्रोटीन और ऊर्जा से भरपूर होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में बाजरे को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान देने के साथ ही किसान उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके। प्रधानमंत्री ने किसानों से बाजरा उगाने और इससे लाभ उठाने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने कहा कि आज कई स्टार्ट अप बाजरे पर काम कर रहे हैं। वे इससे मिलेट कुकीज, मिलेट पैन केक और डोसा भी बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने श्रोताओं से आग्रह किया कि घर पर बाजरे से बने इसी तरह के व्यंजन के चित्र सोशल मीडिया पर अपलोड करें और जागरूकता बढायें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर अरूणाचल प्रदेश में सियांग जिले के जोरसिंग गांव से 4जी इंटरनेट सेवा शुरू हुई। उन्होंने कहा कि अरूणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर के दूर-दराज के क्षेत्रों में 4जी इंटरनेट सेवा से नया सवेरा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया अभियान से देश में नये-नये डिजिटल उद्यमी उभर रहे हैं जो सराहनीय हैं। उन्होंने राजस्थान के अजमेर जिले में सेठा सिंह रावत का उदाहरण दिया, जो दर्जी ऑनलाइन-ई स्टोर चलाते हैं। उन्हें देशभर से कपड़ों के ऑर्डर मिलते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया ने उत्तर प्रदेश में उन्नाव के ओम प्रकाश सिंह को भी उद्यमी बना दिया। ओम प्रकाश सिंह ने अपने गांव में एक हजार से अधिक ब्रॉडबेंड कनेक्शन स्थापित किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरनेट ने विद्यार्थियों के पढ़ने और सीखने के तरीके भी बदल दिए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश की गुडि़या सिंह का उदाहरण दिया, जिसने ससुराल जाकर भी अपनी पढ़ाई पूरी की। गुडि़या को पढ़ाई में भारतनेट से बहुत मदद मिली।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहाड़ों में रहने वाले लोगों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी लोगों की जीवन शैली और संस्कृति में सादगी से पहला पाठ तो यही सीखा जा सकता है कि हम परिस्थितियों के दबाव में ना आएं और आसानी से उन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। दूसरा पाठ यह है कि उनसे स्थानीय संसाधनों के साथ आत्मनिर्भर बनने की सीख मिलती है। प्रधानमंत्री ने स्पीति जनजातीय क्षेत्र का उदाहरण दिया, जहां महिलाएं मिलजुल कर एक-दूसरे के खेतों से मटर तोड़ती हैं। यह आपसी सहयोग लोक परंपरा का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड़ में सराहनीय प्रयास का उदाहरण दिया जहां कई प्रकार की औषधियां और वनस्पतियां मिलती हैं। इनमें से एक बेड़ू फल है। इसे हिमालयन फिग भी कहते हैं। श्री मोदी ने कहा कि पिथौरागढ़ प्रशासन और स्थानीय लोगों के सहयोग से बेडू को अलग-अलग रूप में लोगों तक पहुंचाने में मदद मिली है। पहाड़ी अंजीर के नाम से पेडू की ब्रैंडिंग की गई है और ऑनलाइन बाजार में उतारा गया है।
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