परम्परा के नाम पर ये सब क्या है

चंडी माँ की पूजा अर्चना और गोटमार, सावरगांव और पांढुर्ना से बरसे गोट

छिंदवाड़ा  के पांढुर्ना कस्‍बे में ऐतिहासिक गोटमार मेला लगा जाम नदी के किनारों पर  बसे सावरगांव और पांढुर्र्ना के लोगों ने नदी तट पर पहुंचकर ढोल-बाजे के साथ एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हुए इस मेले को शुरू किया प्रशासन का प्रयास है कि इस बार सांकेतिक रूप से ही मेला हो, हर साल की तरह पत्थरबाजी न हो सुबह गोटमार मेले में सबसे पहले पलाश के पेड रूपी झंडे को पांढुर्ना और सावरगांव का विभाजन करनेवाली जाम नदी में मजबूती से गाड़ दिया गया जिसके बाद सावरगांव और पांढुरना के इस मेले के प्रति आस्था रखने वाले महिला एवं पुरूष वर्ग ने पूजा अर्चना की इसके बाद पत्थरबाजी का खेल शुरू हो गया पोला पर्व के दूसरे दिन वर्षों पुरानी मान्यता के आधार पर आयोजित होने वाला गोटमार मेला पूरे विश्व मे अनोखा है मेले में पांढुर्ना-सावरगांव दोनों पक्ष के लोग नदी के दोनों किनारों पर खड़े होकर एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं इसमें दिन-भर दोनो पक्षो के लोग एक दूसरे पर आमने-सामने पत्थर बरसाते हैं जिससे सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं इस बीच जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक और स्थानीय प्रशासन के पूरे अधिकारी तैनात रहे गोटमार मेले में पुलिस बल लोगों की सुरक्षा और मेले को शांति से सम्पन्ना कराने के लिए शहर के हर इलाके पर तैनात रहा उल्लेखनीय है कि हर साल पुलिस व प्रशासन द्वारा गोटमार मेले में पत्थरबाजी रोकने की कोशिश की जाती है इसके बावजूद इस परम्परा के नाम पर कई लोग घायल होते हैं  

Dakhal News 27 August 2022

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