मेनिनजाइटिस: जरूरी है तुरंत इलाज
bhopal, Meningitis, Urgent treatment, necessary

विश्व मेनिनजाइटिस दिवस (24 अप्रैल) पर विशेष

योगेश कुमार गोयल

मेनिनजाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसे आम भाषा में दिमागी बुखार भी कहा जाता हैं। मेनिनजाइटिस को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को ‘विश्व मेनिनजाइटिस दिवस’ मनाया जाता है। दरअसल यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि कुछ मामलों में लक्षण दिखने के कुछ घंटे में मरीज की जान ले सकती है। दिमागी बुखार वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के जरिये फैलता है। यही कारण है कि दिमागी बुखार होने पर इसका तुरंत इलाज बेहद जरूरी है अन्यथा मामला गंभीर हो सकता है और मरीज की मौत भी हो सकती है।

यह एक वायरल संक्रामक रोग है लेकिन यह जीवाणु अथवा फंगल संक्रमण के कारण भी हो सकता है, जो लोगों के एक-दूसरे के निकट सम्पर्क में रहने से फैलता है। यह बीमारी मरीज के खांसने, छींकने और खाने के माध्यम से आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है और किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। इसीलिए मेनिनजाइटिस दिवस के अवसर पर टीकाकरण पर विशेष जोर दिया जाता है। मेनिनजाइटिस बीमारी एक प्रकार का संक्रमण है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की रक्षा करने वाले मेम्ब्रेन में सूजन पैदा कर देता है। इसीलिए इस बीमारी को मेम्ब्रेन मेनिन्जेस भी कहते हैं। यह बीमारी सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को ही होती है।

मेनिनजाइटिस ब्रेन में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की सुरक्षात्मक झिल्लियों (मेनिन्जेस) की सूजन का कारण बनती है। मेनिनजाइटिस बीमारी में मृत्यु दर करीब दस फीसदी है अर्थात् प्रत्येक 100 में से 10 मरीजों की मौत हो जाती है। हालांकि स्पेनिश बाल चिकित्सा एसोसिएशन का मानना है कि 30 फीसदी से भी ज्यादा लोग नहीं जानते कि मेनिनजाइटिस को रोका जा सकता है। मेनिनजाइटिस को खतरनाक रोग माना जाता है क्योंकि शरीर पर इसके कई हानिकारक प्रभाव देखने को मिलते हैं लेकिन बीमारी के लक्षणों को शुरूआत में ही पहचान कर इसका इलाज करा लेने से मेनिनजाइटिस के रोगी को ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि बुखार अथवा शरीर दर्द जैसे लक्षणों को सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज करने के बजाय अपने चिकित्सक से सम्पर्क कर आवश्यक जांच कराएं। इसके अलावा घर में छोटे बच्चों सहित सभी सदस्यों को मेनिनजाइटिस का टीका अवश्य लगवाएं।

मेनिनजाइटिस ऐसी बीमारी है, जिसके विकसित किए गए टीके इसके जीवाणु को रोकते हैं। वैसे भी संक्रामक रोगों को रोकने के लिए टीकाकरण अभी भी सबसे प्रभावकारी तरीका है। इसीलिए इस बीमारी से बचाव के लिए बच्चों को बचपन में ही मेनिनजाइटिस के टीके लगाए जाते हैं। मेनिन्जाइटिस के टीके इस बीमारी के मुख्य जीवाणुओं हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, मेनिंगोकॉकस और न्यूमोकॉकस को रोक सकते हैं। हालांकि टीके से बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस की रोकथाम होती है, जो ज्यादा खतरनाक होता है। वायरल मेनिनजाइटिस, बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस की तुलना में कम गंभीर होता है। सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली वाले अधिकांश व्यक्ति, जो वायरल मेनिनजाइटिस से पीडि़त हैं, प्रायः इलाज के बिना भी ठीक हो सकते हैं जबकि फंगल मेनिनजाइटिस संक्रमण केवल कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है।

मेनिनजाइटिस को खतरनाक रोग इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इससे शिशु का दिमाग अविकसित या अल्पविकसित हो सकता है, छोटे बच्चों को सीखने में परेशानी हो सकती है। रोगी की याद करने की क्षमता खत्म हो सकती है और सुनने की क्षमता भी सदा के लिए जा सकती है। इस बीमारी में किडनी फेल होने का भी खतरा रहता है और कुछ मामलों में व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान मेनिनजाइटिस से बचाव के लिए महिलाओं को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है। विशेष रूप से बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस काफी गंभीर किस्म की बीमारी है, जो बहुत घातक हो सकती है। इसका इलाज यदि समय से नहीं कराया जाए तो इससे मस्तिष्क की क्षति के अलावा कुछ मामलों में मरीज की मृत्यु की संभावना भी रहती है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Dakhal News 23 April 2022

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.