नरसिंहुपर। वन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के मामले अधिकांशत: सामने आते ही रहते है। वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही उनकी कार्यप्रणाली को संदेहात्मक बनाती है। जिसके चलते क्षेत्र में वनों की कटाई पर रोक नहींं लगा पाती है। दरअसल इसी लापरवाही के कारण ही वनों की कटाई पर अंकुश नहीं लग पाता है और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को बदनामी का दंश झेलना पड़ता है ।
लगातार काटे जा रहे हरे- भरे वृक्ष
जिले में आये दिन हरे भरे वृक्षों को काटा जा रहा है। प्राय: देखा गया है कि वन विभाग अपनी की टीम अपनी अधिकांश कार्रवाई में केवल ठूंठ बनाकर ही इतिश्री कर लेता है और वृक्ष की कटाई निरंतर जारी है। इसी क्रम में राजमार्ग क्षेत्र में वन की कटाई का मामला कुछ दिन पूर्व ही सामने आया था। जिसके बाद अब एक और नया मामला सामने आया है। जिसमें कि वृक्षों को काटकर सिल्ली बना कर वन रक्षक द्वारा अनुचित लाभ कमाने के उद्देश्य से वन माफियाओं के साथ बेचा जा रहा है।
पूरा मामला इस प्रकार है
शिकायतकर्ता अधिवक्ता रेखा पटेल द्वारा शिकायत में बताया गया है कि सहायक वन परिक्षेत्र मुंगवानी की जटलापुर में पदस्थ वन रक्षक मुकेश चढ़ार द्वारा अनुचित लाभ कमाने के लिये हरे भरे वृक्षों को काटकर सिल्लियां बना कर वन माफियाओं को बेचा जा रहा है। जबकि शेष बचे हुये तने को जला दिया जाता है। शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत के साथ दी गई छायाचित्रों में काटे गये वृक्ष के ठूंठ एवं कटा हुआ वृक्ष व जलाये गये वृक्षों के छायाचित्र शामिल हैंं ।
शिकायतकर्ता की माने तो क्षेत्र में वन माफिया बहुत अधिक सक्रिय हैंं। वृक्षों की अवैध कटाई में विभाग की ओर से तैनात किया गया वन रक्षक भी उनके साथ मिलकर अनुचित लाभ कमाने के लिये वृक्षों की कटाई कराने में लगा हुआ है। शिकायकर्ता की माने तो इसके पूर्व अनेकों वृक्ष काट कर बेचे जा चुके हैंं और इस अवैध कार्य में वन रक्षक भी शमिल पाए गए हैंं ।
इनका कहना है
अधिवक्ता रेखा पटेल द्वारा शिकायत की गई है कि वन रक्षक द्वारा वन माफियाओंं के साथ मिलकर वृक्षों की कटाई की जा रही है। शिकायत प्राप्त होते ही जांच के आदेश दे दिये गये हैंं और मामले की वास्तविकता जांच के उपरांत ही स्पष्ट हो पायेगी। यदि वन रक्षक दोषी पाया गया तो नियम अनुरूप कार्रवाई की जावेगी ।
एम आर बद्येल, वन मण्डल अधिकारी नरसिंहपुर