Dakhal News
21 November 2024हनीट्रैप मामला भोपाल… किस -किस को धमकी दोगे…..कोई चुप नहीं है … कोई बोल रहा, तो कोई बोल नहीं रहा…. आपकी करतूतें खुल गईं है सबके सामने …. चमड़ी की कमाई जब खाई है…. तो खिसियाट कैसी…. क्या केवल महिलाएं ही दोषी हैं? उन्हें लाने वाले पुरूष पत्रकार, उनका उपयोग करने वाले पुरुष पत्रकार दोषी नहीं? उन्हें पैसों की चकाचौंध दिखाने वाले पुरूष दोषी नहीं है? उन पुरूष पत्रकारों से माइक id छीनने के लिए किसी ने पहल क्यों नहीं की?
किसी ने कभी उस समय क्यों नहीं सोचा कि भोपाल में आखिर ऐसा क्या है, जो दो साल में आते ही लोग घर, गाड़ी और अन्य सुविधाएं जुटा लेते हैं। एक 22 हजार की मामूली नौकरी करने वाली 3-3 गृहस्थियों को कैसे पाल रही है। एक का मिसयूज करने के लिए दूसरे की नौकरी खाना। अरे कब तक किस -किस को धमकी देते फिरोगे।
क्या पत्रकारिता नहीं करेगा तो भूखा मर जायेगा कोई … किसके पुरखे कह गए, पत्रकारिता ही करो। पत्रकारिता व्यवसाय कभी नहीं था पर गन्दे लोगों ने आकर इसे भी रेड लाइट एरिया बना दिया। बस अंतर इतना है उनका जमीर होता है, वो मजबूरी में ये सब करती हैं, वो किसी को ब्लैकमेल नहीं करती, उन बेचारियों को करोड़ो नहीं मिलते। यहाँ चकाचौंध भी, मीडिया का सम्मान भी, बड़े – बड़े नेताओं, मंत्रियों, अधिकारियों से सम्बंध भी… सम्मानीय भी…. गजब की तरक्की है, भाई। जय हो(ग्वालियर की टीवी पत्रकार अनुपमा सिंह की एफबी वॉल से)
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27 September 2019
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