Patrakar Priyanshi Chaturvedi
राज्यसभा में अब सांसद केवल उस दिन की कार्यसूची से संबंधित मुद्दों पर ही नियम 267 के तहत नोटिस दे सकेंगे। गुरुवार को सभापति सीपी राधाकृष्णन ने स्पष्ट किया कि इस नियम का उद्देश्य पहले से सूचीबद्ध कार्यसूची को स्थगित कर तुरंत किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा कराना नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक महत्व के मुद्दे अन्य संसदीय माध्यमों से भी उठाए जा सकते हैं और यह व्यवस्था वर्ष 2000 की रूल्स कमेटी की रिपोर्ट पर आधारित है।
विपक्ष ने जताई आपत्ति
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनके एक मात्र संसदीय हथियार को छीनने जैसा है। उन्होंने सदन में कहा कि सरकार लगातार संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा टाल रही है और इस व्यवस्था से सांसदों की भूमिका सीमित हो जाएगी। उनका कहना था कि नियम 267 के तहत तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा होना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
इस पर केंद्रीय नेता जेपी नड्डा ने जवाब दिया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा से नहीं भाग रही है और हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। नियम 267 के अंतर्गत स्वीकृति मिलने पर सदन में अन्य कार्य स्थगित करके संबंधित मुद्दे पर तुरंत चर्चा की जाती है और चर्चा के अंत में वोटिंग का प्रावधान भी है।
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