आजाद हिंद फौज के सिपाही राधाकृष्ण सिंह शास्त्री का निधन
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भोपाल । नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के पहाड़पुर निवासी राधाकृष्ण (राधा किशन) सिंह शास्त्री का सोमवार को सुबह निधन हो गया। उन्होंने 105 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद जिले में शोक की लहर है। परिजनों के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा।


राधाकृष्ण सिंह का जन्म 1 जनवरी 1920 को बर्मा (म्यांमार) के पेंगु जिले में हुआ था। उनके परिवार की जड़ें बिहार से जुड़ी थीं और वे अपने माता-पिता के साथ भारत-बर्मा आते-जाते रहते थे। वर्ष 1943 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के बुलावे पर राधाकृष्ण सिंह ने आज़ाद हिंद फ़ौज जॉइन की थी। सिंगापुर में भर्ती होकर उन्होंने “चनमारी” नामक सैन्य प्रशिक्षण लिया और नेताजी के नेतृत्व में इम्फाल और कोहिमा मोर्चों पर अंग्रेजी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इस दौरान वे तीन महीने अंग्रेजों की जेल में भी रहे, जहाँ से क्रांतिकारी भोला भाई देसाई के प्रयासों से रिहा हुए। जापान के आत्मसमर्पण के बाद आज़ाद हिंद फ़ौज को पीछे हटना पड़ा और बर्मा छोड़ने से पहले नेताजी ने अपने सैनिकों से अंतिम मुलाकात की, सी समूह में राधाकृष्ण भी शामिल थे।


आज़ादी के बाद उन्होंने करीब 20 साल बर्मा में संघर्षपूर्ण जीवन बिताया और अंततः लालबहादुर शास्त्री की प्रेरणा से भारत लौटे। भारत में शरणार्थी के रूप में उन्हें बैतूल जिले के पहाड़पुर गांव में 5 एकड़ भूमि दी गई। जीविका चलाने के लिए वे पाथाखेड़ा की कोयला खदान में मजदूर बने और वहीं से रिटायर हुए। उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं।


स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सात पहले आज़ाद हिंद फ़ौज की 75वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में उन्हें सम्मानित किया था। जीवन के अंतिम दिनों तक वे ‘जय हिंद’ के नारे के साथ लोगों का अभिवादन करते थे और आजाद हिंद फौज की वर्दी जैसा सफेद पैंट-शर्ट पहनना उनकी आदत बन गई थी।

 

Dakhal News 24 November 2025

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