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नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने खरीफ और चल रहे रबी सीजन के दौरान किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराने तथा काला बाजार, जमाखोरी और डाइवर्जन पर रोक लगाने के लिए देशभर में अबतक तीन लाख से अधिक छापेमारी की गईं, हजारों लाइसेंस रद्द किए गए और सैकड़ों प्राथमिकी दर्ज हुईं।
खाद्य एवं उर्वरक विभाग ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सहयोग से गए इस अभियान से पहले दोनों विभागों के सचिवों ने राज्यों के साथ कई संयुक्त बैठकें कीं, जिसके बाद जिला स्तर पर बड़े पैमाने पर छापेमारी और कानूनी कार्रवाई शुरू की गई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 3,17,054 निरीक्षण और छापेमार कार्यवाइयां की गईं। इनमें 5,119 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 3,645 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए और 418 प्राथमिकी दर्ज की गईं। जमाखोरी के विरुद्ध 667 नोटिस, 202 लाइसेंस रद्द या निलंबन तथा 37 प्राथमिकी, जबकि डाइवर्जन के मामलों में 2,991 नोटिस, 451 लाइसेंस रद्द या निलंबन और 92 प्राथमिकी दर्ज की गईं। सभी कार्रवाई आवश्यक वस्तु अधिनियम और उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत की गईं।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और गुजरात जैसे राज्यों में अभियान सबसे प्रभावी रहा। उत्तर प्रदेश में 28,273 निरीक्षण, 1,957 नोटिस और 2,730 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए। महाराष्ट्र में 42,566 निरीक्षणों के साथ 1,000 से अधिक लाइसेंस रद्द, जबकि बिहार में लगभग 14,000 निरीक्षण और 500 से अधिक लाइसेंस निलंबित किए गए। इन कार्रवाइयों से कृत्रिम कमी और मूल्य हेराफेरी पर रोक लगी।
गुणवत्ता पर निगरानी के तहत 3,544 नोटिस संदिग्ध निम्न गुणवत्ता वाले उर्वरकों पर जारी किए गए, जिनमें 1,316 लाइसेंस रद्द या निलंबन और 60 प्राथमिकी दर्ज की गईं। नियमित नमूना परीक्षण और गुणवत्ता जांच के माध्यम से घटिया उर्वरकों को आपूर्ति श्रृंखला से हटाया गया ताकि किसानों तक केवल मानक गुणवत्ता के उर्वरक ही पहुंचें।
राज्य सरकारों ने डिजिटल डैशबोर्ड और तत्काल निगरानी प्रणाली के माध्यम से भंडार की आवाजाही पर निगरानी रखी और जब्त किए गए उर्वरकों को सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों तक शीघ्र पहुंचाया। किसानों की शिकायतों पर भी त्वरित कार्रवाई की गई।
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