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शिवपुरी । मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले की करैरा तहसील से अंतिम संस्कार की एक हैरान करने वाली तस्वीर ने सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है। जहाँ एक ओर बेमौसम बारिश ने लोगों की परेशानियां बढ़ा रखीं हैं तो वहीं इसी परेशानी के दौरान कुमरपुरा निवासी सावत्री पत्नी परमानंद प्रजापति की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार करने के लिए परिजनों को एक सुरक्षित शमशान घाट भी नसीब नहीं हो सका जिस कारण से परिजनों को खुले में दाहसंस्कार करना पड़ा।
दरअसल, करैरा ब्लॉक से महज 4 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत खैराघट में बुधवार को सावत्री पत्नि परमानंद प्रजापति (45) वर्ष का निधन हो गया था। जिसका अंतिम संस्कार खुले मैदान में महुअर नदी किनारे करने परिजनों को विवश होना पड़ा इसी दौरान आई बारिश ने भी सारा काम बिगाड़ दिया जिससे चिता के लिए ले जाने वाला ईंधन भी भीग गया साथ ही जिस ट्रैक्टर से लकड़ी कंडे ले जाए गए वह भी नदी किनारे फंस गया, जिससे दाह संस्कार करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा तब कहीं जाकर अग्नि प्रज्ज्वलित हुई। ऐसे में मुक्तिधाम पर बारिश से बचाव का कोई इंतजाम न होने ,पक्का चबूतरा न होने बारिस से बचाव के लिए टीन शेड न होने पर मृतक के परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पूर्व जब भी विपरीत मौषम में कुमरपुरा और घोषीपुरा में किसी की भी मृत्यु हो जाती है तो यहां के निवासियों को परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है।
क्या कहते हैं ग्रामीण-
महेन्द्र सिंह यादव (घोसीपुरा) का कहना है कि बारिस के दौरान श्मशान घाट पर तिरपाल अपने हाथों से पकड़कर अस्थायी ढांचा खड़ा करते हैं, फिर उसके नीचे चिता को किसी तरह से जलाया जाता है । परिजन और ग्रामीण भीगते हुए ही अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मजबूर होते हैं। ग्रामीण अपनी समस्या कई बार करैरा प्रशासनिक अधिकारियों को बता चुके हैं, लेकिन आज दिनाँक तक समस्या जस की तस है।
आज की इस घटना ने भी शिवपुरी में शासन के विकास के दावों की पोल खोलकर रख दी है। प्रदेश में सरकार की ओर से विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन असल तस्वीर काफी अलग है।
गांव में मुक्ति धाम नहीं होने के संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी हेमन्त सूत्रकार का कहना है कि हमारे द्वारा जिन स्थानों पर शमशान घाट नहीं हैं वहां पर प्रशासन से नए श्मशान घाट निर्माण की मांग की है और जहां पर श्मशान घाट टूट फूट गए हैं उनके लिए भी दुरुस्त कराने का कार्य किया जाएगा, लेकिन अभी हमारे पास बजट नहीं है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनुराग निंगवाल कहते हैं कि मैं शीघ्र ही इस समस्या को दिखवाकर हल कराने का प्रयास करता हूँ।
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