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रायपुर । राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर में पढ़े-लिखे श्रवण अजगल्ले एक आर्किटेक्ट है। कोरबा जिले के पाली ब्लॉक के एक वनांचल गांव में इनके पिताजी एक स्कूल में शिक्षक थे। पिताजी की इच्छा थी कि वह अपने कर्मभूमि वाले क्षेत्र में ही निवास करें। पिताजी के इन्हीं इच्छाओं के साथ आर्किटेक्ट श्रवण ने घर का डिजाइन तैयार किया और दो मंजिला घर बनवाया। इस दौरान कमरे का लाइट, पंखा और एसी भी चलता है। ऐसा भी नहीं है कि कमरे के पंखे, एसी और लाइट केवल काम के समय ही चलते हैं, काम खत्म होने के बाद भी इन सबका और घर में मौजूद अन्य विद्युत उपकरणों का इस्तेमाल होता रहता है।
एक तरफ विद्युत उपकरणों का उपयोग जारी रहता है तो दूसरी तरफ बिजली का मीटर भी आगे बढ़ते हुए श्रवण के घर बिजली के बिल में बढ़ोत्तरी करता रहता और जब महीने का बिल आता तो उसके घर का बजट भी बिगट जाता था। कई महीनों तक बिजली के उपयोग और बिल में वृद्धि से श्रवण ने हमेशा के लिये झंझट से मुक्ति चाही और आखिरकार उन्होंने घर पर प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से सोलर सिस्टम लगवा लिया। सोलर सिस्टम के लगने के बाद श्रवण के घर का बिजली बिल लगभग तीन से चार गुना कम हो गया है। अब उन्हें यह भी लगता है कि यदि वे घरेलू विद्युत उपकरणों का कम उपयोग करेंगे तो उनकी बचत फायदे में तब्दील हो जायेगी।
पाली विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम केराझरिया के निवासी श्रवण अजगल्ले ने बताया कि उनके घर में बिजली की खपत ज्यादा है। हर दिन हीटर जलने के साथ ही पानी का बोर, कम्प्यूटर, टीवी, लाइट, पंखे चलते हैं, इसके साथ ही आवश्यकतानुसार एसी, कूलर का उपयोग भी किया जाता है। इस दौरान प्रतिदिन 14 से 15 यूनिट बिजली खपत होती है। श्रवण ने बताया कि गर्मी के दिनों में बिजली की खपत ज्यादा बढ़ने के साथ बिजली का बिल भी बढ़ जाता था। इस दौरान बिल भी बढ़कर आता था। बिजली के बिलों में बढ़ोत्तरी और आने वाले समय में सौर ऊर्जा के विकल्प को देखते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के बारे में सर्च किया और पूरी पड़ताल कर लेने के बाद इसका आवेदन भरा। श्रवण ने बताया कि भले ही शुरू में सौर ऊर्जा का पैनल लगवाने बड़ी राशि लगी, लेकिन उन्हें विश्वास है कि इस राशि की कटौती बिजली बिल में आ रही कमी से भरपाई हो जाएगी। इसके साथ ही उन्हें सरकार द्वारा दी जाने वाली छूट की राशि भी मिल गई है। श्रवण अजगल्ले का कहना है कि प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से अधिक बिजली बनने पर साल में उन्हें अलग से राशि भी मिल सकती है।
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