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वरात्रि के पावन अवसर पर दतिया जिले का पीतांबरा माता मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आस्था का केंद्र बन जाता है .... यह मंदिर केवल अपनी ऐतिहासिक और तांत्रिक शक्ति के कारण ही नहीं.... बल्कि मां पीतांबरा की दिव्य महिमा और भक्तों पर उनके अनंत कृपा की वजह से भी प्रसिद्ध है....... इस मंदिर को तांत्रिक शक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है ...... और इस मंदिर की स्थापना 1935 में स्वामी जी महाराज द्वारा की गई थी .....
मां पीतांबरा को स्तंभन और शत्रु नाश की देवी माना जाता है ..... और उन्हें राजसत्ता की देवी भी कहा जाता है .... यहां भक्त केवल खिड़की के जरिये मां के दर्शन कर सकते हैं..... मंदिर का इतिहास काफी विशेष है..... आपको बता दे की 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय यहां 51 कुंडीय महायज्ञ आयोजित किया गया था.....जिसे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था ..... ऐसा कहा जाता है कि इसी यज्ञ के कारण चीन ने युद्ध विराम की घोषणा की थी .... इसके अलावा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी यहां गुप्त साधनाएं की गईं थी ...... मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही तंत्र साधना की देवी मां धूमावती और महाभारत कालीन खंडेश्वर महादेव के दर्शन भी होते हैं..... मां के भक्त राजसत्ता की कामना लेकर यहां पूजा करते हैं ...... यह मंदिर नवरात्रि और अन्य त्यौहारों में श्रद्धालुओं की भीड़ से भरा रहता है...
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