हरदा । जिला सहकारी केंद्रीय बैंक नर्मदापुरम अंतर्गत टिमरनी, रहटगांव, सिराली, खिरकिया सहित जिले की कुल 52 आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों में 2006 से 2025 के बीच करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है। इस अंतराल में ऋण माफी और अनुदान की राशि समेत उपार्जन से मिलने वाली कमीशन राशि जो किसानों के हक की है उसे बंदरबांट कर हजम किया गया है। सूचना के अधिकार के तहत वासूदेव भदौरिया सहायक आयुक्त सहकारिता हरदा से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने यह कहकर जानकारी देने से इन्कार कर दिया कि यह निजी मामला है।
संस्था की जानकारी को निजी बताकर जानकारी न देकर सूचना के अधिकार के तहत जारी प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है। जिसे कोई देखने व सुनने वाला नहीं है। गंगाराम गुर्जर विधायक प्रतिनिधि कृषि उपज मंडी टिमरनी ने एक पखवाड़ा पहले जिला कलेक्टर को शिकायत कर हुये 100 से 300 करोड़ के भ्रष्टाचार को जगजाहिर कर जांच कराने की मांग की किंतु 25 दिन से अधिक का लंबा समय व्यतीत हो गया किंतु जांच में अभी कोई प्रगति पारुल नहीं हो रही है।
2006 में सभी समितियां हानि मुक्त -
श्री गुर्जर ने जिला कलेक्टर और संयुक्त आयोग सहकारिता नर्मदापुरम संभाग को दिये शिकायत पत्र में बताया कि 2006-07 में सभी समितियों को वैधनाथन की रिपोर्ट के आधार पर हानि मुक्त करने के लिए करोड़ों का बजट उपलब्ध कराया गया। सभी ने मिलकर भारी भरकम बजट को इधर-उधर में खर्च कर दिया। इसके बाद भी सभी समितियों पर कर्जा बना हुआ है। टिमरनी की नौ समितियों रहटगांव की छ: समितियों में 2023-24 में 48 करोड़ की हानि आडिट रिपोर्ट में पाई गई है। इसी तरह अन्य समितियों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। 52 समितियों की आडिट रिपोर्ट 2006 से देखा जाय तो करीब 300 करोड़ का भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हो जायेगा।
दो बार ऋण माफी की राशि का गबन -
श्री गुर्जर ने बताया कि 2008 एवं 2018 में ऋण माफी योजना आई थी इसके तहत मिले बजट को बंदरबांट कर हजम किया गया है। जिसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता से जांच होगी तो चौंकाने वाला भ्रष्टाचार सामने आ जायेगा।
समर्थन मूल्य उपार्जन में करोड़ों का कमीशन -
हर वर्ष समर्थन मूल्य उपार्जन में करोड़ों का कमीशन मिलता है। जिसे किसानों पर खर्च करने की बजाय उसे कर्ज के ब्याज में खर्च किया जा रहा है और जो बचता है अधिकारी-कर्मचारी इधर-उधर में खर्च कर रहे हैं। अनाप-शनाप बिल लगाकर कमीशन की राशि हजम की जा रही है। समिति प्रबंधक, सेल्समैन, सुपरवाइजर आदि भ्रष्टाचार करके करोड़पति बन गये हैं। आय से अधिक संपत्ति अर्पित करके धन कुबेर बन गये हैं। उनकी संपत्ति का छापा मारकर पता लगाया जाये तो चौंकाने वाला भ्रष्टाचार सामने आ जायेगा।
खातेदारों को नहीं मिलता पैसा -
किसानों को अपना पैसा भी जरूरत पड़ने पर नहीं मिल पाता है। बैंक में पैसा नहीं होने का बहाना बनाकर लौटा दिया जाता है। अपना पैसा निकालने के लिए काफी चक्कर लगाने पड़ते हैं।
ऋण माफी समर्थन उपार्जन कमीशन की जांच करायी जाय -
ऋण माफी और समर्थन उपार्जन कमीशन की जांच कराई जाय। इस संबंध में कई दफे मांग की गई जिसे दबाया जा रहा है। 2006 से लेकर 2025 तक के अभिलेखों की जांच की जाय। प्रत्येक समिति को लाखों का कमीशन मिलता है जो कहां खर्च हो रहा है। यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है! ब्याज भरने और ऐशो आराम में किसानों के कमीशन की राशि खर्च की जा रही है।
विधानसभा में उठेगा 52 समितियों का भ्रष्टाचार -
श्री गुर्जर ने बताया कि विधानसभा सत्र के दौरान 2006 से 2025 तक हुये भ्रष्टाचार के मुद्दे को विधानसभे में उठाकर सारे मामले की जांच करवाई जायेगी। इस संबंध में हरदा और टिमरनी विधायक को सारे भ्रष्टाचार से अवगत कराकर विधान सत्र में प्रश्न उठाने की मांग की गई है।
हरदा जिला कलेक्टर सिद्धार्थ जैन, का कहना है कि आपके द्वारा जानकारी संज्ञान में लाई गई, इस संदर्भ में जानकारी हासिल कर कार्यवाही करते हैं ।