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मध्य प्रदेश के देवास और खंडवा जिले के घने जंगलों के बीच स्थित जयंती माता का मंदिर है ,जहां श्रद्धालुओं की अटूट आस्था देखने को मिलती है .. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।"
देवास जिले के सतवास नगर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित है आस्था का वो जयंती माता मंदिर जहां हजारों की संख्या में लोग मत्था टेकने पहुंचे है ।
ये सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था और इतिहास का वो संगम है जहां लोगों की कई मान्यता जुड़ी है ... कहा जाता है माता सीता ने इसी स्थान पर समाधि ली थी और यही वो जगह है जहां लव ओर कुश का जन्म भी हुआ था ... इस मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप शर्मा बताते है कि यह देवी स्वयंभू हैं, यानी माता खुद प्रकट हुई हैं। ऐसा माना जाता है कि महिषासुर वध के बाद मां दुर्गा ने यहां विश्राम किया था, इसलिए इन्हें जयंती माता' कहा जाता है।
इस मंदिर में रोजाना पांच हजार से लेकर छे हजार लोग दर्शन के लिए आते है .. मंदिर के पास खाड़ी नदी और कनेरी नदी का संगम है। वहीं, पास ही एक सुंदर झरना भी स्थित है, जो गर्मियों में पर्यटकों को आकर्षित करता है ... यहां 22 वर्षों से लगातार भंडारा भी आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक भक्तों को भोजन कराया जाता है। यह आयोजन श्रद्धालुओं के सहयोग से निरंतर जारी है ।
हर साल यहां देवी भागवत कथा और प्रवचन कराया जाता है ,,, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक शांति के साथ एक विशेष तरह का अनुभव होता है। कथा वाचक आचार्य कृपा शंकर बताते है कि मैं पिछले 11 वर्षों से इस मंदिर से जुड़ा हूं। यहां की धार्मिक गतिविधियां भक्तों की आस्था को और भी मजबूत करती हैं।
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