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नगरीय क्षेत्रों में आवास किराये पर लेकर उसमें कारोबार संचालित करना अब अधिक नियंत्रित होगा। नए प्रविधानों के अनुसार, बिना मकान मालिक की अनुमति के ऐसा नहीं किया जा सकेगा। यदि कारोबारी गतिविधि संचालित करनी है तो छह माह का किराया अग्रिम देना होगा। इसके अलावा, किरायेदार परिसर किसी और को किराये पर नहीं दे सकेगा, ऐसा पाए जाने पर अनुबंध का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव अनुराग जैन की सहमति मिलने के बाद ये प्रविधान अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा कैबिनेट में प्रस्तुत किए जाएंगे। फायर एक्ट भी शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन सहित अधिकतर नगरीय निकायों में बड़ी संख्या में आवास किराये पर दिए जाते हैं। अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराये, मकान के संधारण और खाली कराने को लेकर विवाद होता है, जो कभी-कभी कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। भारत सरकार ने मकान मालिक और किरायेदार के हितों को ध्यान में रखते हुए मॉडल किरायेदारी अधिनियम का प्रारूप बनाकर सभी राज्यों को भेजा था। प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस आधार पर प्रारूप तैयार किया है, जिसे 16 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत करने की तैयारी है। नए अधिनियम में प्रमुख प्रविधान हैं कि किरायेदार बिना मकान मालिक की सहमति के किसी और को उप किरायेदार नहीं रख सकेगा। अनुबंध समाप्त होने के बाद भी मकान खाली नहीं करने पर, प्रथम दो माह तक दोगुना और इसके बाद चार गुना मासिक किराया देना होगा। आवासीय प्रयोजन के लिए किराये पर मकान लेने के बाद वहां कारोबार करने की अनुमति नहीं रहेगी। अन्य प्रविधानों में बिना अनुबंध के मकान मालिक किरायेदार नहीं रख पाएंगे, निर्धारित अवधि के बाद मकान खाली करना होगा, मकान मालिक किरायेदार को अनावश्यक रूप से तंग नहीं कर सकेगा, आवश्यक सेवाओं को बाधित करने पर मालिक के विरुद्ध कार्रवाई होगी और किरायेदार अनुबंध के अनुसार बढ़ा हुआ किराया देने से इंकार करता है तो इसकी शिकायत किराया अधिकरण में की जा सकेगी। युद्ध, बाढ़, सूखा, तूफान, भूकंप या अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अवधि समाप्त होने पर भी किरायेदार से मकान खाली नहीं कराया जाएगा, पर उसे अनुबंध के अनुसार किराया देना होगा। किरायेदार की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को रहने का अधिकार होगा, पर उसे भी अनुबंध का पालन करना होगा। मकान मालिक कभी भी परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेगा और मकान में मरम्मत या अन्य कार्य करवाने के लिए कम से कम चौबीस घंटे पहले सूचना देनी होगी। किराया प्राधिकारी नियुक्त होगा, जो डिप्टी कलेक्टर से कम स्तर का नहीं होगा। प्रत्येक जिले में जिला अथवा अपर जिला न्यायाधीश को किराया अधिकरण नियुक्त किया जाएगा और इन्हें साठ दिन के भीतर आवेदन का निराकरण करना होगा। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण, किसी सरकारी उपक्रम, उद्यम या कानूनी निकाय के स्वामित्व वाले परिसर पर प्रविधान लागू नहीं होंगे। यह नए प्रविधान मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। इनके माध्यम से मकान मालिक और किरायेदारों के बीच विवादों को कम किया जा सकेगा और न्याय संगत व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा।
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