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देवास में जनसुनवाई के दौरान एक महिला का दर्द सामने आया, जब वह फूट-फूट कर रोते हुए जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर खड़ी थी। महिला का कहना था कि उसका मकान अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया, लेकिन अन्य अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस घटना ने सभी का ध्यान खींचा और प्रशासन से उसकी परेशानी का समाधान करने की उम्मीद जगी।
महिला की दर्दनाक दास्तान
जनसुनवाई के दौरान महिला ने बताया कि उसका मकान अतिक्रमण के तहत तोड़ दिया गया, जिससे वह पूरी तरह बेघर हो गई। कई बार आवेदन देने के बावजूद उसे न्याय नहीं मिला। इस पर महिला ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर अपनी पीड़ा बयां की, और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। महिला का आरोप था कि जब उसके मकान को हटाया गया, तो इलाके के अन्य अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जनसुनवाई में बढ़ी नाराजगी
महिला के आंसू और दर्द देख वहां उपस्थित लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। जनसुनवाई में उसकी समस्या को अनदेखा करने पर महिला ने आक्रोश व्यक्त किया। वह यह भी कह रही थी कि अतिक्रमण के नाम पर उसे बेघर कर दिया गया, लेकिन अन्य अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
कलेक्टर ने दिया न्याय का आश्वासन
इस घटना की जानकारी जैसे ही कलेक्टर ऋषभ गुप्ता को मिली, उन्होंने तत्काल जिला पंचायत सीईओ को फोन कर महिला की समस्या का समाधान निकालने का निर्देश दिया। कलेक्टर ने मीडिया को बताया कि शासन के नियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है, और महिला को राहत देने के लिए सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है।
क्या होगा समाधान?
अब यह सवाल उठता है कि प्रशासन इस मामले में कितनी जल्दी कार्रवाई करेगा और क्या महिला को उचित राहत मिलेगी? क्या अतिक्रमण के नाम पर हुए अत्याचार के बाद वह फिर से अपना आशियाना पा सकेगी?
क्या आप भी मानते हैं कि प्रशासन को महिला की समस्या का शीघ्र समाधान करना चाहिए? अपने विचार हमसे साझा करें।
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