Dakhal News
14 January 2025विराग गुप्ता
बचपन में हमारे कक्का दो मूढ़ चेलों का किस्सा सुनाते थे, जिन्होंने सेवा के नाम पर गुरु के दोनों पैरों का बंटवारा कर लिया था। लेकिन एक छोटी-सी बात पर झगड़ा होने पर चेले जब गुरु के पैरों को कुल्हाड़ी से काटने लगे तो गुरु महाराज को भागकर जान बचानी पड़ी।
कुछ ऐसे ही हालात अपने देश में हैं, जहां केंद्र और विपक्षी राज्यों के बीच बढ़ते विद्वेष की वजह से संवैधानिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न होने के साथ देशहित से जुड़े जरूरी मुद्दों की अनदेखी हो रही है। भारत में बढ़ती अशांति और सड़कों में उफनाते गुस्से की पृष्ठभूमि में 6 बड़े पहलुओं की पड़ताल जरूरी है।
1. पड़ोसी देशों का संकट : श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के तख्ता-पलट में जनता की नाराजगी के तीन बड़े पहलू भारत में भी दिख रहे हैं। नई आर्थिक व्यवस्था में बढ़ती असमानता। सोशल मीडिया के माध्यम से बेरोजगार युवाओं में उग्रराष्ट्रवाद और धर्मांधता का प्रसार। मोबाइल और वॉट्सएप के दौर में त्वरित अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल सरकारों के खिलाफ सड़कों पर भीड़ का गुस्सा।
2. संविधान की डगमगाती इमारत : कोलकाता व महाराष्ट्र मामले में जजों की तीखी टिप्पणियों से साफ है कि राज्यों में पुलिस, प्रशासन, अस्पतालों का ढांचा चरमरा गया है। अन्याय को दूर करके गवर्नेंस को सुधारने के बजाय नेता दुष्कर्म जैसे संगीन मामलों पर भी सियासत कर रहे हैं। दोषियों को दंडित करने के बजाय चर्चित मामलों में सीबीआई जांच और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और जिला अदालतों का संस्थागत ह्रास होने से संविधान की इमारत डगमगा रही है।
3. ई-कॉमर्स से अर्थव्यवस्था में तबाही : अमेजन और विदेशी ई-कॉमर्स कम्पनियों की गैर-कानूनी गतिविधियों के बारे में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बयान से साफ है कि एआई की नवक्रांति का नेतृत्व करने के बजाय हमारा देश पिछलग्गू बनकर उपनिवेशवाद की अंधी सुरंग में फंस-सा गया है। गैर-कानूनी लॉबीइंग, टैक्स चोरी और कानून के उल्लंघन के प्रमाणों के बावजूद, ई-कॉमर्स कम्पनियों के खिलाफ सरकार की सुस्ती से करोड़ों का दिवाला निकल रहा है।
4. गूगल का एकाधिकार : अमेरिका में कम्पनियों के एकाधिकार को रोकने के लिए 1890 और फिर 1914 में सख्त कानून बनाए गए थे। जिस गूगल को भारत में महागुरु का दर्जा दिया जाता है, उसकी गैर-कानूनी कारस्तानियों और आपराधिकता का अमेरिका में बड़ा खुलासा हुआ है।
गूगल ने अपने सर्च इंजन, वेब-ब्राउजर, गूगल एड और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम का वर्चस्व बढ़ाने के लिए एपल और सैमसंग जैसी कम्पनियों को खरबों डॉलर का भुगतान किया है। गौरतलब है कि ऐसे भुगतानों का भारत में कोई रिकॉर्ड नहीं होने से ये कंपनियां भारत में खरबों रुपए के जीएसटी और कॉर्पोरेट टैक्स की चोरी कर रही हैं।
5. भारत में देशी उद्योगों व स्टार्टअप का संकट : अमेरिका में अगले राष्ट्रपति पद की दावेदार कमला हैरिस की मां भारतीय मूल की हैं। अधिकांश टेक कंपनियों की कमान भी भारतीयों के हाथ में है। गूगल के खिलाफ फैसला देने वाले जज मेहता भी भारतीय मूल के हैं। इस फैसले के बाद गूगल को अमेरिकी न्याय विभाग और एफटीसी को पूरी जानकारियां देने के साथ भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। इसके अलावा एकाधिकार को खत्म करने के लिए गूगल को कई हिस्सों में बांटा जा सकता है। मजे की बात यह है कि गूगल के अलावा मेटा, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और एपल जैसी कंपनियां भी भारत जैसे देशों में अनेक अनुचित उपाय अपना रही हैं। इनके एकाधिकार को रोकने में सरकार की विफलता से देशी उद्योगों और स्टार्टअप का विकास अवरुद्ध होने के साथ टैक्स चोरी से सरकारी खजाने को भारी चपत लग रही है।
6. सरकारों पर कब्जे की होड़ : अमेरिका में रजिस्टर्ड ये कम्पनियां अमेरिकी सरकारों से तालमेल रखती हैं। पिछले चुनावों में मेटा और दूसरी कंपनियों ने ट्रम्प के खिलाफ बाइडेन का साथ दिया था। इस बार ट्विटर यानी एक्स के एलॉन मस्क खुलकर ट्रम्प का साथ दे रहे हैं।
भारत जैसे देशों में कानून के दायरे से बचने के लिए टेक कंपनियां सोशल मीडिया के माध्यम से विखंडनकारी ताकतों को बढ़ावा देती हैं। वे भारत में टैक्स चोरी, साइबर अपराध, डेटा चोरी के साथ चुनावी प्रक्रिया को भी हाईजैक कर रही हैं।
इन अहम मुद्दों पर संसद और सुप्रीम कोर्ट में बहस नहीं होना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। ठोस कानून और प्रभावी रेगुलेटर से विदेशी टेक कंपनियों पर सख्त नियंत्रण नहीं हुआ तो अर्थव्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली दोनों डगमगा सकते हैं।
अहम मुद्दों पर संसद और सुप्रीम कोर्ट में बहस नहीं होना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। ठोस कानून और प्रभावी रेगुलेटर से विदेशी टेक कंपनियों पर सख्त नियंत्रण नहीं हुआ तो अर्थव्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली दोनों डगमगा सकते हैं।
Dakhal News
25 August 2024
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By: Medha Innovation & Development
|