भीड़ पचास हजार से अधिक; पुलिस कर्मी महज 40
The crowd exceeded fifty thousand

मंगलवार को आयोजित सत्संग में हुई इस घटना के बाद बड़ा सवाल यह कि आखिर इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? हालांकि सूत्र खुफिया तंत्र की ओर से किसी दुर्घटना के अंदेशे की रिपोर्ट देने का दावा कर रहे हैं। मगर यह बात हजम नहीं हो रही और इस पूरी घटना में खुफिया तंत्र फेल नजर आया हैपचास हजार से अधिक की भीड़ जुटी थी। इतने बड़े आयोजन के लिए महज 40 पुलिस कर्मी लगाए गए। दो एंबुलेंस ही यहां तैनात की गईं। फायर ब्रिगेड का कोई दस्ता तो यहां था ही नहीं। इतना ही नहीं अधिकारी भी पौने तीन घंटे बाद मौके पर पहुंचे हैं। वह भी तब जब लखनऊ से हल्ला मचा अगर प्रशासन ने पहले ही इस आयोजन को लेकर मुकम्मल इंतजाम किए होते तो यकीन मानिए इतनी जनहानि कतई न होती। यहां तो कदम कदम पर लापरवाही देखने को मिली। इस हादसे ने पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कलई खोल कर रख दी है। इस हादसे के दौरान प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से लाचार दिखा न तो मौके पर ठोस इंतजाम थे, न इस तरह की व्यवस्था थी कि अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो कैसे निपटा जाए। कमोबेश यही हालात ट्रामा सेंटर पर दिखे। घंटों की देरी से पहुंचे जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक अपने अधीनस्थों को निर्देश देते रहे आलम यह रहा कि अस्पताल में तमाम प्रयासों के बावजूद भी ऑक्सीजन, बिजली व अन्य व्यवस्थाओं को प्रशासनिक अमला संभाल नहीं सका। जिससे लोगों में गुस्सा दिखा। स्वास्थ्य विभाग की लाचारी को लेकर कई बार लोगों में रोष देखने को मिला है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैंसिकंदराराऊ सीएचसी स्थित ट्रामा सेंटर पर जैसे ही घायलों का पहुंचना शुरू हुआ तो यहां न ऑक्सीजन मिली और न ही पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्सक। लोगों का आरोप था कि यहां अस्पताल परिसर में महज एक बोतल चढ़ाने की व्यवस्था है। न तो पंखे चल रहे हैं और न ही ऑक्सीजन मिल रही है अफसरों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। जैसे ही जिलाधिकारी आशीष कुमार मौके पर पहुंचे तो उन्होंने खुद वहां के हालात देखकर सीएमओ व अन्य अधिकारियों को फोन मिलाए, लेकिन कोई सुधार नहीं हो सका। यहां तक कि खुद अफसर स्थानीय लोगों से पंखें, पानी आदि की मदद के लिए कहने लगे।

 

Dakhal News 3 July 2024

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