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सत्येंद्र ने तैरकर पार किया इंग्लिश चैनल
एंकरकौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों यह लाइन बिल्कुल फिट बैठती है मध्यप्रदेश के भिंड शहर से आने वाले दिव्यांग तैराक सतेंद्र सिंह पर जिन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर यह साबित कर दिया है की इंसान चाहे तो वह जीवन में कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है.दिव्यांग सत्येंद्र सिंह ने लंदन से फ्रांस और फ्रांस से लंदन तक 72 किमी की मैराथन तैराकी सफलतापूर्वक पूरी की सतेंद्र ने इस रिले तैराकी में छह दिव्यांग तैराकों के दल का नेतृत्व किया. समुद्र में कई चैनलों को तैराकों ने पार किया है, जिनमें यह इंग्लिश चैनल दुनिया में सबसे मुश्किल माना जाता है यहां पता नहीं होता है कि कब मौसम बदल जाए आपको बता दें सतेंद्र का जन्म मध्यप्रदेश के भिंड शहर में एक सामान्य परिवार में हुआ था उनके शरीर का निचला हिस्सा बचपन से ही काम नहीं करता है.बाबजूद इसके सतेंद्र ने हार नहीं मानी और तैराकी का प्रशिक्षण प्रारंभ किया पैरा तैराकी में सतेंद्र अब तक 28 राष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं. जबकि चार अंतरराष्ट्रीय पदक भी हासिल किए हैं इन्हीं सब कार्यों के लिए सत्येंद्र को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार मिला था. उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने यह सम्मान दिया था.यह सम्मान हासिल करने वाले वे देश के पहले दिव्यांग तैराक बने थे
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